क्या सूर्यनारायण स्वामी मंदिर में भगवान सूर्य अपनी दोनों पत्नियों के साथ दर्शन देते हैं?

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क्या सूर्यनारायण स्वामी मंदिर में भगवान सूर्य अपनी दोनों पत्नियों के साथ दर्शन देते हैं?

सारांश

भगवान सूर्य का सूर्यनारायण स्वामी मंदिर आंध्र प्रदेश में स्थित है, जहाँ भक्त सुख-संपत्ति और दांपत्य जीवन में खुशहाली के लिए आते हैं। इस मंदिर की स्थापना 1920 में हुई थी और यहाँ के अद्भुत गोपुरम और आशीर्वाद की मान्यता इसे विशेष बनाती है।

Key Takeaways

  • भगवान सूर्य का मंदिर आंध्र प्रदेश में स्थित है।
  • यहाँ भगवान सूर्य अपनी दो पत्नियों के साथ विराजमान हैं।
  • मंदिर का गोपुरम 170 फीट ऊँचा है।
  • 1920 में इसकी स्थापना हुई थी।
  • रविवार को विशेष पूजा आयोजित की जाती है।

नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में भगवान सूर्य के अनेक मंदिर हैं, जहाँ भक्त अपनी मनोकामनाएँ लेकर पहुँचते हैं। सूर्य भगवान की आराधना से जीवन में उन्नति होती है और शत्रुओं का नाश होता है। मान्यता है कि भगवान शिव के साथ युद्ध में सूर्य के 12 टुकड़े हो गए थे, और जहाँ-जहाँ उनके टुकड़े गिरे, वहाँ पर उनके मंदिरों का निर्माण हुआ।

आंध्र प्रदेश में एक ऐसा मंदिर है, जहाँ भगवान सूर्य अपनी दोनों पत्नियों के साथ स्थित हैं। यह मंदिर आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले के पेद्दापुडी मंडल के गोलाला ममीदादा गाँव में स्थापित है।

यह मंदिर थुल्या भागा (तुंगभद्रा) नदी के किनारे स्थित है। मंदिर का क्षेत्रफल 16 एकड़ है और इसका गोपुरम (प्रवेश द्वार) 170 फीट ऊँचा है, जिसे विभिन्न नक्काशियों से सजाया गया है।

गोपुरम पर विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ बारीकी से उकेरी गई हैं, जिसमें हिंदू धर्म के महाकाव्यों को दर्शाया गया है। इस कला को 'चिन्ना भद्राचलम' के नाम से जाना जाता है। गोपुरम को सजाने के लिए विभिन्न रंगों का उपयोग किया गया है।

इस मंदिर की स्थापना वर्ष 1920 में श्री कोव्वुरी बसिवि रेड्डी गारू नामक समाजसेवी ने की थी। गारू के बारे में कहा जाता है कि गाँव में उनके समान धार्मिक और दानी व्यक्ति कोई नहीं था। उन्होंने न केवल मंदिर के लिए समर्पित सेवा की, बल्कि अपना जीवन भी जनता के कल्याण में बिताया।

मंदिर का प्रवेश द्वार से लेकर गर्भगृह तक का दृश्य अद्भुत है। प्रवेश द्वार पर भगवान सूर्य सात घोड़ों के साथ रथ चला रहे हैं, जबकि गर्भगृह में भगवान सूर्य अपनी दोनों पत्नी ऊषा और छाया के साथ विराजमान हैं।

ऐसा माना जाता है कि मंदिर में आकर भक्त अपनी मनोकामनाएँ पूरी करने का संकल्प लेते हैं। वहाँ भक्तों के बीच भगवान के नाम पर कसम लेने की परंपरा है, और मनोकामना पूरी होने पर भक्त उस कसम को पूरा भी करते हैं।

गर्भगृह में भगवान सूर्य और उनकी दोनों पत्नियों के दर्शन से सुख-संपत्ति और दांपत्य जीवन में खुशहाली का आशीर्वाद मिलता है। भक्त दूर-दूर से भगवान सूर्य का आशीर्वाद लेने के लिए यहाँ आते हैं। विशेषकर रविवार के दिन, क्योंकि इस दिन मंदिर में खास पूजा-अर्चना होती है।

Point of View

बल्कि यह सामाजिक सेवा और समुदाय के कल्याण का भी प्रतीक है। यहाँ की आस्था और मान्यता भारत के धार्मिक विविधता को दर्शाती है, जो हमें एकजुट करती है।
NationPress
31/10/2025

Frequently Asked Questions

सूर्यनारायण स्वामी मंदिर कहाँ स्थित है?
यह मंदिर आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले के गोलाला ममीदादा गाँव में स्थित है।
मंदिर की स्थापना कब हुई थी?
मंदिर की स्थापना वर्ष 1920 में श्री कोव्वुरी बसिवि रेड्डी गारू द्वारा की गई थी।
क्या यहाँ विशेष पूजा होती है?
हाँ, विशेषकर रविवार के दिन यहाँ पर विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं।
मंदिर में भगवान सूर्य किसके साथ विराजमान हैं?
भगवान सूर्य यहाँ अपनी दोनों पत्नियों, ऊषा और छाया के साथ विराजमान हैं।
क्या भक्तों की मनोकामनाएँ यहाँ पूरी होती हैं?
हाँ, भक्त यहाँ आकर अपनी मनोकामनाएँ पूरी करने का संकल्प लेते हैं।