क्या तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुदुचेरी में एसईआर प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई?
सारांश
Key Takeaways
- एसईआर प्रक्रिया का उद्देश्य फर्जी मतदाताओं की पहचान करना है।
- सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है।
- राजनीतिक दलों को इस प्रक्रिया पर अपनी राय स्पष्ट करनी चाहिए।
- अगली सुनवाई २६ नवंबर को होगी।
- इंटरनेट कनेक्टिविटी समस्याओं का ध्यान रखना आवश्यक है।
नई दिल्ली, ११ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के बाद अब तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुदुचेरी में चल रही मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर चुनाव आयोग से उत्तर मांगा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि एसआईआर कराने की पूरी जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है। यदि किसी को मतदाता सूची से कोई आपत्ति है, तो उसे चुनाव आयोग के पास जाना चाहिए।
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आप ऐसा व्यवहार कर रहे हैं जैसे यह देश में पहली बार मतदाता सूची पुनरीक्षण हो रहा है, जबकि यह प्रक्रिया पहले भी हो चुकी है। इसे कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है।
यदि आपको इस प्रक्रिया में कोई विसंगति नजर आती है, तो आप चुनाव आयोग के पास जा सकते हैं, आपकी समस्या का समाधान वहां होगा।
याचिकाकर्ता की तरफ से प्रस्तुत अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि केंद्र सरकार को यह समझना चाहिए कि वर्तमान में अधिकांश किसान कृषि में लगे हैं। ऐसे में सुचारू रूप से एसआईआर प्रक्रिया को पूरा कराना उचित नहीं है। पश्चिम बंगाल में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या है, जिससे केवल एक महीने में एसआईआर प्रक्रिया को पूरा करना मुश्किल है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि एसईआर पर हाईकोर्ट कोई सुनवाई नहीं करेगा। विभिन्न राजनीतिक दलों की आपत्तियों के बाद अगली सुनवाई २६ नवंबर को होगी।
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और कांग्रेस ने चुनौती दी है। वहीं, तमिलनाडु में डीएमके ने एसआईआर का विरोध किया है जबकि AIADMK ने समर्थन किया है।
देश में फर्जी मतदाताओं की पहचान के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने एसआईआर प्रक्रिया शुरू की है।