क्या तेजस्वी यादव की भाषा अपमानजनक है? : प्रवीण खंडेलवाल

सारांश
Key Takeaways
- तेजस्वी यादव का बयान राजनीतिक विवाद का कारण बना।
- प्रवीण खंडेलवाल ने उनकी भाषा को असभ्य बताया।
- बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण आवश्यक है।
- कालनेमि अभियान फर्जी बाबाओं के खिलाफ उठाया गया कदम है।
- आपातकाल के दौरान जुल्म सहने की यादें।
नई दिल्ली, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव के चुनाव आयोग से संबंधित बयान ने राजनीतिक हलचलों को जन्म दिया है। इस पर भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि तेजस्वी यादव द्वारा उपयोग की गई भाषा न केवल अपमानजनक है, बल्कि असभ्य भी है। ऐसी भाषा का प्रयोग करना बिल्कुल भी उचित नहीं है।
उन्होंने बिहार में चल रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण के संदर्भ में कहा कि बिहार में कई ऐसे लोग हैं, जिन्होंने बिना किसी पात्रता के अपना पहचान पत्र बनवा लिया। इसलिए, ऐसे लोगों को पहचानना और उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करना आवश्यक है। इसी कारण चुनाव आयोग ने मतदाताओं के पुनरीक्षण का निर्णय लिया, ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके। इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर मुहर लगाई है।
उन्होंने उत्तराखंड में शुरू किए गए ‘कालनेमि अभियान’ का स्वागत किया और कहा कि सनातन धर्म के प्रति लोगों का बढ़ता आकर्षण फर्जी बाबाओं की संख्या में वृद्धि का कारण बन रहा है। उत्तराखंड सरकार का ऐसे बाबाओं के खिलाफ कार्रवाई करना सराहनीय है।
उन्होंने कहा कि ऐसे सभी बाबाओं को चिन्हित किया जा रहा है, जो केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए काम कर रहे हैं। राज्य सरकार इस प्रक्रिया में जुटी है, जो संत समाज की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
उन्होंने आपातकाल के समय का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारे साथ अत्याचार किए गए, हमारे परिवारों पर जुल्म ढाए गए। हमारे परिजनों को जेल में डाल दिया गया और हमें कई प्रकार की यातनाएं दी गईं। आपातकाल के खिलाफ संघर्ष को स्वतंत्रता की दूसरी लड़ाई कहा जाता है। उस समय हमारी आवाज को दबा दिया गया था।