क्या 'टिड्डी मुद्रा' पेट, पीठ और पैर के लिए बेहद लाभदायी है? जानें सही तरीका
सारांश
Key Takeaways
- शलभासन रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है।
- पेट की मांसपेशियों को ताकत देता है।
- वजन घटाने में मदद करता है।
- मानसिक तनाव को कम करने में सहायक है।
- महिलाओं के लिए पीरियड्स संबंधी समस्याओं में लाभकारी है।
नई दिल्ली, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। ऑफिस में घंटों एक ही पोज में बैठने से पीठ और पैर में दर्द या अन्य शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं। योग विधियों में शलभासन या टिड्डी मुद्रा का अभ्यास इस समस्या का समाधान प्रस्तुत करता है।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अनुसार, शलभासन या टिड्डी मुद्रा एक महत्वपूर्ण आसन है, जो रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है और वजन कम करने में सहायक होता है। यह आसन शरीर की समग्र फिटनेस को बढ़ावा देता है, जिसके अभ्यास से कई राहत मिलती हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि नियमित रूप से इस मुद्रा का अभ्यास न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है, बल्कि मानसिक तनाव को भी कम करने में सहायक है।
शलभासन के अनेक फायदे हैं, सबसे प्रमुख है रीढ़ की हड्डी की मजबूती, जो पीठ दर्द और कमजोरी को दूर करता है। यह पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, पाचन तंत्र को बेहतर करता है और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत देता है। वजन घटाने के लिए भी यह मुद्रा लाभकारी है, यह अतिरिक्त वसा को जलाने में मदद करती है। इसके अतिरिक्त, यह छाती, कंधों और पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करती है, फेफड़ों की क्षमता बढ़ाती है और रक्त संचार में सुधार करती है।
टिड्डी मुद्रा महिलाओं के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। यह पीरियड्स संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करती है। यह आसन पूरे शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
विशेषज्ञ शलभासन करने की विधि भी बताते हैं। सबसे पहले, पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। पैरों को सीधा रखें, एड़ियां और पैर की उंगलियां आपस में जुड़ी हुई हों। हाथों को शरीर के साथ रखें, हथेलियां ऊपर की ओर। अब सांस लें और सिर, छाती, हाथ और पैरों को एक साथ ऊपर उठाएं, इस दौरान टिड्डी जैसी मुद्रा बन जाती है। पेट और कमर जमीन पर टिकी रहें। इस स्थिति में 10-20 सेकंड तक रुकें, सामान्य सांस लें। फिर धीरे से वापस मुद्रा में आएं।
हालांकि, कुछ लोगों को इसके अभ्यास में सावधानी बरतनी चाहिए। विशेष रूप से गर्भवती महिलाएं, हर्निया, अल्सर या पेट की सर्जरी वाले व्यक्ति इसे न करें। हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, गर्दन या पीठ दर्द की गंभीर समस्या वाले लोग डॉक्टर की सलाह लें। इन्हें योग प्रशिक्षक की देखरेख में अभ्यास करना चाहिए।