क्या उपेंद्र कुशवाहा और पवन सिंह की मुलाकात का भारतीय राजनीति में कोई महत्व है?

सारांश
Key Takeaways
- उपेंद्र कुशवाहा की राजनीतिक महत्वाकांक्षा समाप्त हो चुकी है।
- पवन सिंह भाजपा की बी-टीम माने जाते हैं।
- महागठबंधन में सीटों का बंटवारा लगभग पूरा हो चुका है।
- राहुल गांधी ने 16 दिन बिहार में बिताए।
- राजनीति में मुलाकातें कभी-कभी महत्वपूर्ण होती हैं।
पटना, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद सुधाकर सिंह ने मंगलवार को राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और भोजपुरी फिल्म के अभिनेता पवन सिंह के बीच हुई मुलाकात को भारतीय राजनीति के संदर्भ में अप्रासंगिक बताया।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि वर्तमान समय में भारतीय राजनीति की स्थिति ऐसी बन गई है कि उपेंद्र कुशवाहा की किसी से भी मुलाकात का कोई अर्थ नहीं रह गया है। उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है। अतः उनकी मुलाकातें अब अप्रासंगिक हैं। पवन सिंह का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वे भाजपा की बी-टीम के तौर पर देखे जाते हैं, जिसका भाजपा अपने हित के लिए उपयोग करने में सक्षम है।
उन्होंने आगे बताया कि जब हमने चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की थी, तो हमें बताया गया था कि हम 20 प्रतिशत मतदाताओं को हटाने की योजना बना रहे हैं। किसी वैध मतदाता को सूची से हटाना संविधान के खिलाफ है, और चुनाव आयोग को ऐसा करने का अधिकार नहीं है। अगर कोई इस दायरे से बाहर जाने की कोशिश करेगा, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में किए गए प्रयासों से 'वोट चोरी' का मुद्दा उठाया गया था। इसी कारण 65 लाख से अधिक मतदाता, जिन्हें हटाया जाना था, अब रोक दिए गए हैं। इस पर हम आगे समीक्षा करेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि महागठबंधन में सीटों का बंटवारा लगभग पूरा हो चुका है। नए दलों के लिए भी सीटों का बंटवारा किया जाएगा। इस दिशा में सभी प्रक्रियाएँ पूरी हो चुकी हैं। अगले दो-चार दिन में इस पर जानकारी दी जाएगी। बिहार अब नीतीश कुमार से मुक्ति चाहता है। कोई यह नहीं चाहता कि कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा; सभी का एक ही लक्ष्य है कि बिहार को नीतीश कुमार से मुक्ति मिले।
वहीं, राहुल गांधी के विदेश दौरे पर सुधाकर सिंह ने कहा कि वे आमतौर पर भारतीय प्रवासियों से संवाद स्थापित करने के लिए जाते हैं। यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, जिसे इतना तूल दिया जा रहा है। राहुल गांधी 16 दिन बिहार में रहे और वहां के लोगों से संवाद किया, उन्हें आश्वस्त किया कि उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा।