क्या 'जी राम जी' योजना से राज्यों की आमदनी में वृद्धि होगी, 17,000 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ संभव है?

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क्या 'जी राम जी' योजना से राज्यों की आमदनी में वृद्धि होगी, 17,000 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ संभव है?

सारांश

क्या 'जी राम जी' योजना राज्यों की आमदनी को बढ़ाने में मदद करेगी? नई रिपोर्ट के अनुसार, इससे राज्यों को 17,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ मिल सकता है। जानें इस योजना के पीछे के महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ के संभावित क्षेत्र।

Key Takeaways

  • नई योजना से राज्यों को 17,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ।
  • समानता और कार्यक्षमता पर आधारित फंड वितरण।
  • उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र को सबसे अधिक लाभ।
  • ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देने का प्रयास।
  • शुद्धता और स्पष्टता से धन का बंटवारा।

नई दिल्ली, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। नई विकसित भारत रोजगार व आजीविका गारंटी मिशन-ग्रामीण (वीबी-जी राम जी) योजना के अंतर्गत केंद्र और राज्यों के बीच फंड का बंटवारा निश्चित मानकों के आधार पर किया जाएगा। इससे पिछले 7 वर्षों के औसत आवंटन की तुलना में राज्यों को लगभग 17,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ प्राप्त हो सकता है। यह जानकारी सोमवार को जारी एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट में दी गई है।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्य कांति घोष ने बताया कि यदि केवल केंद्र के हिस्से का मूल्यांकन सात निर्धारित मानकों के आधार पर किया जाए, तो अधिकांश राज्यों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि इस अनुमान के अनुसार राज्यों को पिछले 7 वर्षों के औसत आवंटन से लगभग 17,000 करोड़ रुपये अधिक मिल सकते हैं।

रिपोर्ट में एक काल्पनिक स्थिति का निर्माण किया गया है, जिसमें फंड वितरण के लिए समानता और काम करने की क्षमता, दोनों को समान महत्व दिया गया है।

इस व्यवस्था के दो मुख्य आधार बताए गए हैं। पहला, समानता, यानी उन राज्यों को अधिक सहायता देना, जहां आवश्यकता अधिक है, ग्रामीण जनसंख्या अधिक है और प्रशासनिक जिम्मेदारी बड़ी है, ताकि वहाँ रोजगार की मांग को पूरा किया जा सके।

दूसरा, कार्यक्षमता, यानी उन राज्यों को प्रोत्साहित करना जो प्राप्त धन से स्थायी रोजगार उत्पन्न करते हैं, टिकाऊ संपत्तियाँ बनाते हैं और मजदूरी समय पर देते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, इन सात मानकों को न्याय और कार्यक्षमता के आधार पर बांटा गया है। इसमें मनरेगा (एमजीएनआरईजीए) योजना के तहत वित्त वर्ष 2019 से 2025 तक (साल 2020-21 को छोड़कर) हुए औसत आवंटन की तुलना नए निर्धारित मानकों से की गई है।

कुल मिलाकर, इस नए तरीके से राज्यों को पिछले 7 वर्षों की तुलना में लगभग 17,000 करोड़ रुपये का लाभ होगा। इसका मतलब है कि अधिकांश राज्य फायदे में रहेंगे।

रिपोर्ट के अनुसार, इस अनुमानित स्थिति में लगभग सभी राज्यों को लाभ होगा। केवल दो राज्यों को बहुत मामूली नुकसान हो सकता है।

तमिलनाडु के मामले में बताया गया कि यदि वित्त वर्ष 2024 में हुई असामान्य वृद्धि (जो वित्त वर्ष 2022 और 2023 के औसत से 29 प्रतिशत अधिक थी) को हटा दिया जाए, तो नुकसान लगभग नगण्य रह जाता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र को सबसे अधिक लाभ होगा। इसके बाद बिहार, छत्तीसगढ़ और गुजरात को भी अधिक लाभ मिलने की संभावना है।

यदि धन का वितरण स्पष्ट और निर्धारित मानकों के अनुसार किया जाए, तो इससे विकसित और पिछड़े दोनों प्रकार के राज्यों को लाभ होगा। साथ ही, राज्य अपने 40 प्रतिशत योगदान से इस योजना के परिणामों को और भी बेहतर बना सकते हैं।

Point of View

बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन को भी प्रोत्साहित करेगी। यह एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इसे सही तरीके से लागू करना आवश्यक है।
NationPress
29/12/2025

Frequently Asked Questions

क्या 'जी राम जी' योजना सभी राज्यों के लिए लाभदायक है?
हाँ, रिपोर्ट के अनुसार, 'जी राम जी' योजना से अधिकांश राज्यों को लाभ प्राप्त होगा, केवल कुछ राज्यों को मामूली नुकसान हो सकता है।
कितना लाभ राज्यों को इस योजना से मिलेगा?
इस योजना के तहत राज्यों को पिछले 7 वर्षों के औसत आवंटन की तुलना में लगभग 17,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ मिल सकता है।
यह योजना किस प्रकार के मानकों पर आधारित है?
यह योजना समानता और काम करने की क्षमता के आधार पर फंड के बंटवारे के लिए निर्धारित मानकों पर आधारित है।
कौन से राज्य सबसे अधिक लाभान्वित होंगे?
उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र को सबसे अधिक लाभ मिलने की संभावना है।
क्या यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाएगी?
हाँ, इस योजना के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी।
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