क्या भारत और जर्मनी ने पारंपरिक चिकित्सा में सहयोग बढ़ाया?

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क्या भारत और जर्मनी ने पारंपरिक चिकित्सा में सहयोग बढ़ाया?

सारांश

भारत और जर्मनी के बीच पारंपरिक चिकित्सा पर सहयोग बढ़ाने के लिए हुई महत्वपूर्ण बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा की गई। इस सहयोग के माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल समाधान को बेहतर बनाने की दिशा में कदम उठाए गए हैं।

Key Takeaways

  • भारत और जर्मनी ने पारंपरिक चिकित्सा पर सहयोग बढ़ाया।
  • बैठक में प्रतिपूर्ति और अनुमति प्रक्रिया पर चर्चा हुई।
  • आयुष मंत्रालय ने 25 देशों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए।
  • पारंपरिक चिकित्सा का विकास पिछले 10 वर्षों में उल्लेखनीय रहा है।
  • जाधव ने हर्बल उत्पादों के निर्यात में वृद्धि की बात की।

नई दिल्ली, 21 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत का आयुष मंत्रालय और जर्मनी का संघीय स्वास्थ्य मंत्रालय 18 से 20 नवंबर तक बर्लिन में वैकल्पिक चिकित्सा पर तीसरी संयुक्त कार्य समिति की बैठक में एकत्र हुए।

मंत्रालय ने बताया कि बैठक में चर्चा के तीन मुख्य बिंदु थे: पारंपरिक चिकित्सा को सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में शामिल करना, मरीजों के लिए प्रतिपूर्ति की व्यवस्था बनाना, और दवाओं एवं उपचार पद्धतियों की अनुमति प्रक्रिया को और मजबूत करना।

इन बिंदुओं से यह स्पष्ट होता है कि दोनों देश साक्ष्य-आधारित और जन जरूरतों पर केंद्रित पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

इस यात्रा के दौरान सक्षमता केंद्र का दौरा भी शामिल था।

पारंपरिक और एकीकृत चिकित्सा के क्षेत्र में चैरिटे विश्वविद्यालय के साथ मिलकर शोध के नए अवसरों की खोज और आयुष मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन को आगे बढ़ाने के लिए एक MOU पर हस्ताक्षर किए गए।

अन्य कार्यक्रमों में सामुदायिक अस्पताल हैवेल्होहे का दौरा शामिल था, जहां मानवशास्त्रीय चिकित्सा के क्लिनिक, एकीकृत देखभाल और अनुसंधान प्रथाओं की समीक्षा की गई और पारंपरिक चिकित्सा से जुड़े बीमा और प्रतिपूर्ति तंत्र पर संघीय संयुक्त समिति (जी-बीए) के साथ विस्तृत चर्चा की गई।

यह मिशन दिखाता है कि आयुष मंत्रालय विश्व में आयुष प्रणालियों को बढ़ावा देने, मजबूत ढांचा बनाने और वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में भारत की भूमिका को बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों को मजबूत करने का रणनीतिक प्रयास कर रहा है।

मंत्रालय ने पुष्टि की है कि जर्मनी के साथ निरंतर सहयोग से अनुसंधान, नियमों का समन्वय और सुरक्षा, गुणवत्ता और वैज्ञानिक जांच पर आधारित एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल समाधानों तक मरीजों की पहुंच तेज होगी।

आयुष मंत्रालय ने पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए लगभग 25 देशों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं।

भारत में पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय बदलाव आया है। पिछले 10 वर्षों में यह लगभग आठ गुना बढ़ गया है।

केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव जाधव ने हाल ही में पारंपरिक चिकित्सा की बढ़ती महत्ता पर कहा कि विनिर्माण क्षेत्र का राजस्व 2014-15 में 21,697 करोड़ रुपये से बढ़कर अब 1.37 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है, जबकि सेवा क्षेत्र ने 1.67 लाख करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है।

जाधव ने बताया कि आयुष और हर्बल उत्पादों का निर्यात बढ़ा है और अब इनका मूल्य 150 से अधिक देशों में 1.54 बिलियन डॉलर है।

Point of View

जो न केवल पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देता है, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल में भारत की भूमिका को भी मजबूत करता है। यह सहयोग दीर्घकालिक है और इससे भविष्य में कई सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
NationPress
21/11/2025

Frequently Asked Questions

भारत और जर्मनी के बीच सहयोग क्यों महत्वपूर्ण है?
यह सहयोग पारंपरिक चिकित्सा को मुख्यधारा में लाने और स्वास्थ्य देखभाल समाधानों को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।
बैठक में कौन-कौन से मुद्दों पर चर्चा हुई?
बैठक में पारंपरिक चिकित्सा को सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में शामिल करने, मरीजों की सुविधा के लिए प्रतिपूर्ति की व्यवस्था और दवाओं की अनुमति प्रक्रिया पर चर्चा हुई।
इस सहयोग का भविष्य क्या है?
यह सहयोग भविष्य में स्वास्थ्य देखभाल में सुधार और अनुसंधान में नए अवसरों की ओर ले जाएगा।
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