क्या 2 करोड़ से अधिक फर्जी फोन कनेक्शन ब्लॉक किए गए हैं और स्पूफ कॉल्स में 97 प्रतिशत की कमी आई है?

सारांश
Key Takeaways
- 2 करोड़ से अधिक फर्जी कनेक्शन ब्लॉक किए गए हैं।
- स्पूफ कॉल्स में 97 प्रतिशत की कमी आई है।
- संचार साथी पहल को लागू किया गया है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग किया जा रहा है।
- दूरसंचार विभाग साइबर सुरक्षा को मजबूत कर रहा है।
नई दिल्ली, 3 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। दूरसंचार विभाग के सचिव डॉ. नीरज मित्तल ने बुधवार को जानकारी दी कि केंद्रीय दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने धोखाधड़ी गतिविधियों के लिए उपयोग में लाए जा रहे 2 करोड़ से अधिक मोबाइल कनेक्शन को ब्लॉक कर दिया है और स्पूफ कॉल्स में 97 प्रतिशत की कमी लाने में सफलता प्राप्त की है।
डॉ. मित्तल ने दक्षिण गोवा में आयोजित दूरसंचार विभाग की सुरक्षा संबंधी एनुअल वेस्ट जोन कॉन्फ्रेंस में वीडियो लिंक के माध्यम से अपने विचार साझा किए और साइबर धोखाधड़ी के खिलाफ दूरसंचार क्षेत्र की प्रमुख उपलब्धियों का उल्लेख किया।
उन्होंने स्पूफ कॉल्स की कमी का श्रेय सरकार की 'संचार साथी' पहल को दिया, जो दूरसंचार सेवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक प्लेटफॉर्म है।
स्पूफ कॉल्स वे फर्जी कॉल्स होती हैं, जिनमें धोखेबाज कॉलर आईडी की जानकारी में बदलाव करके धोखाधड़ी करते हैं।
मित्तल ने बताया कि संचार साथी के साथ-साथ, विभाग ने धोखाधड़ी, विशेषकर वित्तीय क्षेत्र में, से संबंधित जानकारी को क्राउडसोर्स करने के लिए एक 'डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म' विकसित किया है।
यह प्लेटफॉर्म बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को चल रहे घोटालों से संबंधित डेटा साझा करने में मदद करता है।
दूरसंचार के बढ़ते महत्व पर जोर देते हुए, मित्तल ने कहा कि जहां दूरसंचार उपयोगकर्ताओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, वहीं दूरसंचार संसाधनों का दुरुपयोग, विशेषकर वित्तीय धोखाधड़ी में भी बढ़ा है।
इस समस्या का समाधान करने के लिए, दूरसंचार विभाग ने साइबर सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने के लिए कई पहलें शुरू की हैं।
उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) ने धोखाधड़ी की पहचान करने और उसे समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अब तक एआई की मदद से 78 लाख नकली मोबाइल कनेक्शन और 71,000 धोखाधड़ी वाले खुदरा बिक्री केंद्र बंद किए जा चुके हैं।
विभाग ने देशभर में उच्च-गुणवत्ता वाले और प्रमाणित दूरसंचार उपकरण के उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए परीक्षण प्रयोगशालाओं का विस्तार किया है।
दूरसंचार विभाग ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर एक फाइनेंशियल फ्रॉड रिस्क इंडीकेटर पेश किया है, जो वित्तीय धोखाधड़ी में शामिल मोबाइल नंबरों का बेहतर तरीके से पता लगाने में मदद करता है।
डॉ. मित्तल ने यह भी बताया कि दूरसंचार विभाग आधुनिक साइबर खतरों से निपटने और रीयल-टाइम निगरानी क्षमताओं में सुधार के लिए केंद्रीकृत निगरानी प्रणाली (सीएमएस) को अपग्रेड करने पर काम कर रहा है।
विभाग सेक्टर-स्पेसिफिक और एप्लीकेशन-लेवल सिक्योरिटी को बढ़ावा देने के लिए निजी कंपनियों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग कर रहा है, ताकि टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत और विश्वसनीय बना रहे।
इन सभी प्रयासों के साथ, दूरसंचार विभाग का उद्देश्य भारत में लाखों मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए एक सुरक्षित और अधिक विश्वसनीय डिजिटल वातावरण बनाना है।