क्या दुनिया का हर 3 में से 1 व्यक्ति मस्तिष्क विकार से प्रभावित है? प्रतिवर्ष 11 मिलियन लोगों की होती है मौत: रिपोर्ट

सारांश
Key Takeaways
- हर 3 में से 1 व्यक्ति मस्तिष्क विकार से प्रभावित है।
- हर साल 11 मिलियन लोग इन विकारों के कारण मरते हैं।
- 63 देशों में राष्ट्रीय नीति है लेकिन केवल 34 देशों में धन उपलब्ध है।
- निम्न-आय वाले देशों में न्यूरोलॉजिस्ट की कमी है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाएं सीमित हैं।
नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा मंगलवार को जारी की गई एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्वभर में हर तीन में से एक व्यक्ति ऐसी स्थिति के साथ जी रहा है जो उसके मस्तिष्क को प्रभावित करती है। तंत्रिका विकारों के कारण हर वर्ष 11 मिलियन (1 करोड दस लाख) लोगों की जान चली जाती है।
रिपोर्ट के अनुसार, स्ट्रोक, नवजात शिशु मस्तिष्क विकृति, माइग्रेन, अल्जाइमर रोग, और अन्य मनोभ्रंश, डायबिटिक न्यूरोपैथी, मेनिन्जाइटिस, इडियोपैथिक एपिलेप्सी, समय से पहले जन्म से जुड़ी तंत्रिका संबंधी जटिलताएं, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार और नर्वस सिस्टम कैंसर को मृत्यु और विकलांगता में योगदान देने वाली शीर्ष 10 तंत्रिका स्थितियों के रूप में पहचाना गया है।
हालांकि ये तंत्रिका स्थितियां अब वैश्विक आबादी के 40 प्रतिशत से अधिक को प्रभावित करती हैं, लेकिन दुनिया में तीन में से एक से भी कम देशों के पास न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (तंत्रिका संबंधी विकारों) से निपटने के लिए कोई राष्ट्रीय नीति है।
चिंताजनक बात यह है कि इन बीमारियों के उच्च बोझ के बावजूद, निम्न-आय वाले देशों में उच्च-आय वाले देशों की तुलना में 80 गुना से भी कम न्यूरोलॉजिस्ट हैं।
कई निम्न और मध्यम-आय वाले देशों में राष्ट्रीय योजनाओं, बजट और कार्यबल का भी अभाव है।
डॉ. जेरेमी फरार, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्वास्थ्य संवर्धन, रोग निवारण एवं नियंत्रण विभाग के सहायक महानिदेशक हैं, ने कहा, "दुनिया में हर तीन में से एक से ज्यादा लोग अपने मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली बीमारियों से जूझ रहे हैं, इसलिए हमें उनकी जरूरतों के अनुसार स्वास्थ्य सेवा में सुधार लाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।"
फरार ने कहा, "इनमें से कई तंत्रिका संबंधी बीमारियों को रोका जा सकता है या उनका प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है, फिर भी ज्यादातर लोगों की पहुंच इन तक नहीं है। खासकर ग्रामीण और अल्प-सेवा वाले क्षेत्रों में जहां इसे सामाजिक कलंक के तौर पर देखा जाता है।"
102 देशों के आंकड़ों पर आधारित इस रिपोर्ट से पता चला है कि 63 देशों में तंत्रिका संबंधी विकारों से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति है, लेकिन केवल 34 देशों ने ही इनके समाधान के लिए समर्पित धन उपलब्ध होने की सूचना दी है।
मजबूत नीतिगत ढांचों के बिना, स्वास्थ्य प्रणालियां खंडित और संसाधनों से वंचित रहती हैं।
इसके अलावा, आवश्यक सेवाएं भी अधिकांश लोगों की पहुंच से बाहर पाई गईं। केवल 49 देशों ने अपने सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज लाभ पैकेजों में तंत्रिका संबंधी विकारों को शामिल किया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सरकारों से आग्रह किया है कि वे साहसिक नेतृत्व एवं निरंतर निवेश के माध्यम से तंत्रिका विकारों को नीतिगत प्राथमिकता बनाएं।