क्या 2024-25 में 103 भारतीय शहरों में पीएम10 की मात्रा कम हुई है?

सारांश
Key Takeaways
- 103 भारतीय शहरों में PM10 की मात्रा में कमी आई है।
- 64 शहरों में 20% से अधिक कमी दर्ज की गई है।
- 22 शहरों ने राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक हासिल किया है।
- सरकार ने 13,036.52 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता दी है।
- वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए 1,612 निगरानी स्टेशन स्थापित किए गए हैं।
नई दिल्ली, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत सरकार ने हाल ही में संसद में जानकारी दी है कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के अंतर्गत 2024-25 में 103 भारतीय शहरों में PM10 (पार्टिकुलेट मैटर) की मात्रा में कमी आई है।
एनसीएपी की शुरुआत 2019 में हुई थी, जिसका उद्देश्य 131 शहरों में वायु प्रदूषण, विशेषकर PM10 को 2024 तक 20-30 प्रतिशत तक कम करना था।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में लिखित उत्तर में बताया, "इन 103 शहरों में से 64 शहरों में PM10 का स्तर 20 प्रतिशत से अधिक कम हुआ है और इनमें से 25 शहरों ने 40 प्रतिशत से अधिक कमी हासिल की है।"
उन्होंने यह भी कहा कि 22 शहरों ने राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक को पूरा कर लिया है, जहां PM10 का स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से कम है।
वायु प्रदूषण से निपटने के लिए, सरकार ने 2019-20 से अब तक 130 शहरों को 13,036.52 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की है। यह वित्तीय सहायता उन शहरों को वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाने में मदद करती है।
एनसीएपी के तहत, स्वच्छ भारत मिशन (शहरी), एएमआरयूटी, स्मार्ट सिटी मिशन, पीएम ई-बस सेवा और नगर वन योजना जैसी केंद्रीय योजनाओं के साथ-साथ राज्य सरकारों के संसाधनों का भी उपयोग किया जा रहा है।
मंत्री ने बताया कि गंगा के मैदानी क्षेत्र के आठ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 41 लक्षित शहरों के लिए 5,318 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। प्रत्येक शहर ने विशेष स्वच्छ वायु योजना तैयार की है, जो सड़क की धूल, वाहनों के उत्सर्जन, कचरा जलाना, निर्माण गतिविधियां और औद्योगिक प्रदूषण जैसे स्रोतों को नियंत्रित करने पर केंद्रित है।
वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने देशभर में 572 शहरों और चार ग्रामीण क्षेत्रों में 1,612 निगरानी स्टेशन स्थापित किए हैं।
ये स्टेशन प्रदूषण के स्तर को ट्रैक करने में मदद करते हैं। सरकार का कहना है कि एनसीएपी के तहत उठाए गए कदमों से वायु गुणवत्ता में सुधार हो रहा है, लेकिन अभी और प्रयासों की आवश्यकता है।