क्या माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आने से अल्जाइमर का रिस्क बढ़ता है?

सारांश
Key Takeaways
- सूक्ष्म और नैनो प्लास्टिक का बढ़ता संपर्क मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
- ये कण मस्तिष्क में प्रवेश कर कॉग्निटिव डिक्लाइन का कारण बन सकते हैं।
- आहार, व्यायाम और पर्यावरणीय विषाक्तता का अध्ययन जरूरी है।
- जेनेटिक रिस्क फैक्टर्स की पहचान महत्वपूर्ण है।
- अल्जाइमर रोग के प्रति जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है।
नई दिल्ली, ११ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। एक नए अध्ययन के अनुसार, चूहों पर किए गए शोध में पाया गया है कि सूक्ष्म और नैनो प्लास्टिक के संपर्क में आने से अल्जाइमर का खतरा बढ़ सकता है।
इन प्लास्टिक कणों का प्रवेश मानव शरीर में न केवल पीने के पानी या भोजन के माध्यम से होता है, बल्कि हवा के द्वारा भी होता है।
रोड आइलैंड विश्वविद्यालय के फार्मेसी कॉलेज के शोधकर्ताओं के अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि ये प्लास्टिक कण मस्तिष्क सहित शरीर की सभी प्रणालियों में प्रवेश कर जमा हो जाते हैं, जिससे कॉग्निटिव डिक्लाइन (ब्रेन का ठीक से काम न करना) और अल्जाइमर रोग का कारण बन सकते हैं, विशेषकर उन व्यक्तियों में जो जेनेटिक रिस्क फैक्टर्स (आनुवंशिक कारक) रखते हैं।
यह शोध एक पूर्व अध्ययन पर आधारित है जिसमें दिखाया गया था कि कैसे सूक्ष्म प्लास्टिक शरीर की सभी प्रणालियों में प्रवेश कर उनकी कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं। ये मस्तिष्क पर भी असर डालते हैं और अल्जाइमर का कारण बन सकते हैं।
एनवायरनमेंटल रिसर्च कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में उन चूहों का परीक्षण किया गया, जिन्हें प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले जीन एपीओई4 (अल्जाइमर का एक मजबूत संकेतक) को शामिल करने के लिए आनुवंशिक रूप से संशोधित किया गया था। इस जीन की मौजूदगी से लोगों में इस रोग की आशंका ३.५ गुना अधिक होती है।
विश्वविद्यालय के फार्मेसी सहायक प्रोफेसर जैमे रॉस ने कहा, "इंसानों की तरह, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि इन चूहों की सोचने-समझने की क्षमता में कोई बदलाव देखने को मिलेगा। जैसे आपके जुड़वां बच्चे भी अलग-अलग तरीकों से रिएक्ट कर सकते हैं।"
रॉस ने आगे कहा, "यह दर्शाता है कि हमारी जीवनशैली में कुछ दोष है या पर्यावरण में कुछ गड़बड़ी है। हम अल्जाइमर से जुड़े कुछ परिवर्तनीय कारकों जैसे आहार, व्यायाम, विटामिन, और विशेष रूप से माइक्रोप्लास्टिक जैसे एनवायर्नमेंटल टॉक्सिन्स का अध्ययन कर रहे हैं।"
टीम ने चूहों की कॉग्निटिव एबिलिटी (संज्ञानात्मक क्षमता) की जांच के लिए कई परीक्षण किए।
उनके अनुसार, "अल्जाइमर पीड़ित पुरुष आमतौर पर उदासीन रहते हैं, जबकि महिलाओं की याददाश्त प्रभावित होती है। इसलिए याददाश्त और उदासीनता का संबंध स्पष्ट है।"
टीम ने कहा कि ये नतीजे चिंताजनक हैं। सूक्ष्म और नैनोप्लास्टिक के पर्यावरण और मानव जीवन पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव का वर्णन करते हैं।