क्या केरल में दिमाग खाने वाले अमीबा से एक और मौत हुई?

सारांश
Key Takeaways
- अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस एक गंभीर मस्तिष्क संक्रमण है।
- यह अमीबा दूषित मीठे पानी में पाया जाता है।
- यह बीमारी संक्रामक नहीं है।
- स्वच्छता बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
- जलवायु परिवर्तन से मामलों में वृद्धि हो सकती है।
मलप्पुरम (केरल), 11 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तरी केरल के मलप्पुरम जिले में एक 47 वर्षीय व्यक्ति की अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के कारण मृत्यु हो गई है। यह एक महीने में दिमाग खाने वाले अमीबा के संक्रमण की छठी मौत है।
शाजी, जो कि मलप्पुरम के चेलेम्परा चालिपरम्बु के निवासी थे, को 9 अगस्त को कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल (केएमसीएच) में भर्ती कराया गया। उनकी स्वास्थ्य स्थिति काफी गंभीर थी।
इस सप्ताह यह संक्रमण से हुई दूसरी मौत है और पिछले एक महीने में यह छठी घटना है।
स्थानीय समाचार पत्रों के अनुसार, स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि शाजी को लिवर संबंधी समस्याएं थीं, जिससे उनकी दवाएं प्रभावी नहीं हो पा रही थीं।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने उनकी मृत्यु की पुष्टि करते हुए कहा कि संक्रमण के स्रोत का पता नहीं चल पाया है।
इसी सप्ताह, मलप्पुरम के वंदूर क्षेत्र की एक महिला भी इसी बीमारी के कारण केएमसीएच में जान गवा चुकी है।
इस बीच, बुधवार को एक 10 वर्षीय लड़की और एक महिला की भी इस संक्रमण की जांच में पुष्टि हुई है।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि केएमसीएच सहित विभिन्न अस्पतालों में पिछले एक महीने में अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के 10 मरीजों का इलाज चल रहा है, जिनमें से एक की हालत गंभीर है।
राज्य के उत्तरी क्षेत्र में संक्रमण की बढ़ती घटनाओं ने स्वास्थ्य अधिकारियों को इस बीमारी की निगरानी और जागरूकता अभियान बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है।
यह बीमारी आमतौर पर जलजनित अमीबा के कारण होती है। अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस एक गंभीर मस्तिष्क संक्रमण है जो एक मुक्त-जीवित अमीबा, आमतौर पर नेगलेरिया फाउलेरी, के कारण होता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, यह अमीबा दूषित मीठे पानी में तैरने या गोता लगाने पर नाक के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। इसके बाद यह मस्तिष्क में पहुंचकर सूजन और ऊतकों को नुकसान पहुंचाता है।
यह बीमारी संक्रामक नहीं है और दूषित पानी पीने से नहीं फैलती। कुछ विशेषज्ञों ने हालिया मामलों की वृद्धि को जलवायु परिवर्तन से भी जोड़ा है।