क्या चिप्स, कुकीज और कोल्ड ड्रिंक की लत शराब के नशे जैसी है?

सारांश
Key Takeaways
- अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स की लत स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
- ये खाद्य पदार्थ दिमाग को नशे की तरह प्रभावित करते हैं।
- बच्चों के लिए विज्ञापन पर प्रतिबंध आवश्यक है।
- स्वास्थ्य विशेषज्ञों को इस लत के खिलाफ जागरूकता फैलानी चाहिए।
- सरकारों को नियम लागू करने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 29 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। आपके प्रिय चिप्स, कुकीज, और कोल्ड ड्रिंक जैसी वस्तुएं, जिन्हें अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड कहा जाता है, के संबंध में एक नई शोध में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। इस शोध के अनुसार, ये अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स लोगों को उसी प्रकार जकड़ रहे हैं जैसे कि शराब या ड्रग्स की लत लगती है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि यदि इन खाद्य पदार्थों को 'लत' के रूप में नहीं देखा गया, तो यह स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। इसके गंभीर परिणाम दुनिया भर में हो सकते हैं।
शोध की मुख्य लेखिका एशले गियरहार्ट ने कहा, ''लोगों को सेब या दाल-चावल की लत नहीं लगती। समस्या उन खाद्य पदार्थों से है, जिन्हें विशेष रूप से इस तरह बनाया जाता है कि वे दिमाग पर नशे की तरह असर करें।''
यह शोध नेचर मेडिसिन नामक वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इसमें 36 देशों में हुए लगभग 300 रिसर्च का विश्लेषण किया गया। अध्ययन में पाया गया कि ये प्रोसेस्ड फूड्स दिमाग के उस हिस्से को सक्रिय करते हैं, जो हमें खुशी का अनुभव कराता है। यही कारण है कि इंसान का मन बार-बार इन्हें खाने का करता है, भले ही इससे स्वास्थ्य को कोई नुकसान ही क्यों न हो। ये सभी लक्षण किसी नशे की लत जैसे ही हैं।
न्यूरोइमेजिंग, यानी दिमाग का स्कैनिंग, से भी पता चला कि जो लोग इन चीजों का अधिक सेवन करते हैं, उनके दिमाग में वैसे ही बदलाव देखे जाते हैं, जैसे कि शराब या कोकीन की लत वाले लोगों में।
इसके अलावा, कुछ दवाएं जो इन खाद्य पदार्थों की तलब को कम करती हैं, वही दवाएं नशे की लत कम करने में भी मदद करती हैं। इसका मतलब है कि इन दोनों का दिमाग पर असर समान होता है।
गियरहार्ट की टीम ने बताया कि नाइट्रस ऑक्साइड और कैफीन की लत को मानसिक बीमारियों की किताब में शामिल किया गया है, जबकि प्रोसेस्ड फूड की लत को अभी तक गंभीरता से नहीं लिया गया है, जबकि इसके लिए कई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद हैं।
इस शोध में दूसरी लेखिका एरिका ला. फाटा ने कहा, ''अन्य चीजों को आसानी से लत के रूप में मान लिया गया है, तो अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड को क्यों नहीं? अब समय आ गया है कि इसे भी वैज्ञानिक रूप से उतनी ही गंभीरता से लिया जाए।''
शोध में कहा गया कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों, डॉक्टरों और सरकारों को चाहिए कि वे इस लत को पहचानें, रिसर्च के लिए फंड दें और इलाज के तरीके विकसित करें। साथ ही, बच्चों के लिए विज्ञापनों पर प्रतिबंध, चेतावनी लेबल और जागरूकता फैलाने जैसे नियम भी लागू करें, जैसे तंबाकू आदि चीजों पर होते हैं।
गियरहार्ट ने कहा, ''हम यह नहीं कह रहे कि हर खाना नशे जैसा होता है, लेकिन कई अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ सचमुच इस तरह बनाए जाते हैं कि लोगों को उनकी लत लग जाए। यदि हम इस सच को नहीं समझेंगे, तो खासकर बच्चों को बहुत नुकसान होगा।''