क्या केरल हाईकोर्ट ने लक्षद्वीप में न्यायिक प्रशासन सुधार के लिए समिति बनाई?

सारांश
Key Takeaways
- लक्षद्वीप में न्यायिक प्रशासन सुधार के लिए समिति का गठन हुआ है।
- समिति में विभिन्न प्रशासनिक और न्यायिक सदस्य शामिल हैं।
- न्यायिक सेवाओं की पहुँच को बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा।
कोच्चि, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में लक्षद्वीप केंद्र शासित प्रदेश में न्यायिक प्रशासन से जुड़े मुद्दों के समाधान हेतु एक नई समिति गठित करने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश नितिन जमदार और न्यायमूर्ति जियाद रहमान ए.ए. की खंडपीठ ने जानकारी दी कि इस समिति में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, प्रिंसिपल जिला जज, जिला कलेक्टर, केंद्र शासित प्रदेश प्रशासक के नामित सदस्य, पुलिस अधीक्षक, सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर, रजिस्ट्रार कम्प्यूटरीकरण, और नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
इस समिति का नाम ‘लक्षद्वीप न्यायिक प्रशासन एवं अवसंरचना समिति’ रखा गया है।
अदालत ने कहा, “हमने कई आदेश पारित किए हैं, लेकिन मुख्य आदेश समिति के गठन से संबंधित है।” यह निर्देश एक स्वतः संज्ञान लिए गए मामले में दिए गए, जो लक्षद्वीप की न्यायिक प्रणाली में सुधार से संबंधित है।
यह मामला तब सामने आया जब न्यायिक ढांचे और जनशक्ति से जुड़ी समस्याएं, जो द्वीपों की भौगोलिक स्थिति के कारण उत्पन्न होती हैं, अदालत के संज्ञान में आईं।
जनवरी 2025 में, हाईकोर्ट के प्रशासनिक पक्ष ने एक जवाब दाखिल किया जिसमें बताया गया कि लक्षद्वीप के 10 आबाद द्वीपों में सिर्फ तीन पर ही न्यायालय सेवाएं उपलब्ध हैं। इससे अन्य द्वीपों के निवासियों की न्याय तक पहुँच पर असर पड़ता है।
नवनिर्मित समिति इन चुनौतियों की समीक्षा करेगी और न्यायिक पहुंच, अवसंरचना, कार्मिक और डिजिटल कनेक्टिविटी में सुधार के लिए व्यावहारिक सुझाव देगी।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि इन समस्याओं का समाधान करना आवश्यक है ताकि लक्षद्वीप के निवासियों को भी मुख्यभूमि के नागरिकों की तरह न्याय तक समान पहुंच मिल सके।
समिति की सिफारिशें आने के बाद इस मामले की आगे सुनवाई होगी।
लक्षद्वीप भारत का सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश है, जिसमें 36 द्वीप हैं और इसका कुल क्षेत्रफल 32 वर्ग किलोमीटर है। यह एकल-जिला केंद्र शासित प्रदेश है और इसकी राजधानी कवरत्ती है। सभी द्वीप कोच्चि से 220 से 440 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।