क्या अंचिता शेउली ने अपने संघर्ष से वेटलिफ्टिंग में नई पहचान बनाई?

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क्या अंचिता शेउली ने अपने संघर्ष से वेटलिफ्टिंग में नई पहचान बनाई?

सारांश

अंचिता शेउली की कहानी प्रेरणा का स्रोत है। पिता की मृत्यु के बाद आर्थिक संकट में भी उन्होंने वेटलिफ्टिंग में नया मुकाम हासिल किया। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड दिलाया। जानिए उनके संघर्ष और सफलता की कहानी।

Key Takeaways

  • संघर्ष: अंचिता के संघर्ष ने उन्हें सफलता की ओर अग्रसर किया।
  • प्रेरणा: वे युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
  • मेहनत: उनकी मेहनत ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
  • परिवार: परिवार के साथ मिलकर काम करने से उन्होंने मुश्किलों का सामना किया।
  • सेना में पद: उन्हें भारतीय सेना में हवलदार का रैंक मिला।

नई दिल्ली, 23 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। वेटलिफ्टर अंचिता शेउली ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी मेहनत से एक अलग पहचान बनाई है। इस युवा प्रतिभा ने विभिन्न प्रतियोगिताओं में कई पदक जीते हैं। उनकी मेहनत और फिटनेस ने उन्हें कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में गोल्ड मेडल दिलाया।

अंचिता शेउली का जन्म 24 नवंबर 2001 को हुआ। उनके पिता एक मजदूर थे, जिसके कारण परिवार का गुजारा करना मुश्किल था। कोलकातादेउलपुर में पले-बढ़े अंचिता के बड़े भाई आलोक एक वेटलिफ्टर थे, जिन्हें देखकर अंचिता ने इस खेल को चुना।

अंचिता बेहद शर्मीले थे। उनके भाई ने उन्हें निडर बनने के लिए प्रेरित किया, और इसी कारण अंचिता ने वेटलिफ्टिंग में कदम रखा।

साल 2013 अंचिता के लिए कठिन रहा। इस वर्ष उनके पिता का निधन हुआ, जिससे परिवार आर्थिक संकट में आ गया।

उनकी मां पूर्णिमा ने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए एक साथ दो स्थानों पर काम करना शुरू किया। आलोक ने भी घर की आर्थिक स्थिति को समझते हुए काम करना शुरू किया।

मां और भाई को काम करता देखकर अंचिता ने भी उनके साथ काम करना प्रारंभ किया। तीनों ने कोलकाता में कपड़ों पर कढ़ाई का काम शुरू किया। इस दौरान आलोक ने वेटलिफ्टिंग छोड़ दी, लेकिन उन्होंने अंचिता को इसे जारी रखने के लिए प्रेरित किया।

महज 12 साल

साल 2014 में अंचिता की मेहनत रंग लाई। इस वर्ष जूनियर नेशनल प्रतियोगिता में उन्होंने चौथा स्थान प्राप्त किया। भले ही वे पदक नहीं जीत सके, लेकिन पुणेसेना खेल संस्थान के कोच ने उनके टैलेंट को पहचाना।

साल 2015 में आयोजित यूथ नेशनल गेम्स में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता और उसी साल यूथ कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर प्राप्त किया।

साल 2018 में एशियन यूथ चैंपियनशिप में उन्होंने देश को सिल्वर मेडल दिलाया। खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2018 में गोल्ड जीतने के बाद उन्हें प्रतिमाह स्टाइपेंड मिलने लगा। कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप 2019 में उन्होंने जूनियर और सीनियर श्रेणियों में गोल्ड जीते। इस दौरान अंचिता को भारतीय सेना में हवलदार का रैंक भी मिला।

कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप 2021 में गोल्ड जीतकर अंचिता ने अपनी उपलब्धियों का सिलसिला जारी रखा। वे इसी साल जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बने।

1 अगस्त 2022 को अंचिता ने पुरुषों के 73 किलोग्राम भारवर्ग में एक रिकॉर्ड स्थापित किया, जिसमें उन्होंने 313 किग्रा (स्नैच में 143 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 170 किग्रा) भार उठाते हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीता। यह स्नैच में एक नया रिकॉर्ड था।

अंचिता की मेहनत और अनुशासन युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने युवाओं को प्रेरित किया है कि वे भी वेटलिफ्टिंग को अपने करियर के रूप में अपनाएं। अंचिता जैसे वेटलिफ्टर को देखकर युवाओं ने फिटनेस, स्पोर्ट्स और हेल्दी लाइफस्टाइल को अधिक महत्व देना शुरू किया है।

Point of View

बल्कि युवाओं को प्रेरित किया है। यह कहानी हमें प्रेरित करती है कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।
NationPress
26/11/2025

Frequently Asked Questions

अंचिता शेउली ने कब कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीता?
अंचिता शेउली ने 1 अगस्त 2022 को कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीता।
अंचिता को वेटलिफ्टिंग में प्रेरणा किसने दी?
अंचिता को उनके बड़े भाई आलोक ने वेटलिफ्टिंग में प्रेरित किया।
अंचिता शेउली का जन्म कब हुआ?
अंचिता शेउली का जन्म 24 नवंबर 2001 को हुआ।
अंचिता ने कब जूनियर नेशनल प्रतियोगिता में भाग लिया?
अंचिता ने 2014 में जूनियर नेशनल प्रतियोगिता में भाग लिया।
उन्हें किस खेल में स्टाइपेंड मिलने लगा?
उन्हें खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2018 में गोल्ड जीतने के बाद स्टाइपेंड मिलने लगा।
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