क्या भरत कुमार छेत्री भारतीय हॉकी का 'कमबैक किंग' हैं?
सारांश
Key Takeaways
- भरत कुमार छेत्री का जन्म 1981 में हुआ।
- उन्होंने 2001 में अंतरराष्ट्रीय हॉकी में पदार्पण किया।
- उन्हें 2011 में भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया।
- 2018 में उन्हें ध्यानचंद अवॉर्ड मिला।
- वे कालिमपोंग में हॉकी अकादमी चलाते हैं।
नई दिल्ली, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय हॉकी का इतिहास स्वर्णिम रहा है। इस खेल में हर युग में ऐसे खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने अपनी प्रतिभा से हॉकी को नई दिशा दी है। भरत कुमार छेत्री एक महत्वपूर्ण नाम हैं।
भरत कुमार छेत्री का जन्म 15 दिसंबर 1981 को कालिमपोंग, पश्चिम बंगाल में हुआ। उनके पिता भारतीय सेना में कार्यरत थे, जिससे उनके अंदर साहसिकता का जज्बा था। हॉकी की शुरुआत उन्होंने दानापुर आर्मी स्कूल से की और 1998 में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) के बेंगलुरु स्थित सेंटर में प्रशिक्षण प्राप्त किया।
2001 में, भरत ने ढाका में प्रधानमंत्री गोल्ड कप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदार्पण किया। उस समय भारतीय हॉकी संघर्ष और विफलता के दौर से गुजर रही थी, लेकिन भरत जैसे खिलाड़ियों ने इसे पुनर्जीवित करने की पूरी कोशिश की। 2004, 2007 और 2009 में उन्हें राष्ट्रीय टीम से बाहर किया गया, लेकिन उन्होंने हर बार शानदार वापसी की, जिसके कारण उन्हें 'कमबैक किंग' कहा जाता है।
2011 में उन्हें पहली बार भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया। 2012 में उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने सुल्तान अजलान शाह कप में कांस्य पदक जीता। लंदन ओलंपिक 2012 में, छेत्री भारतीय टीम के पहले गोलकीपर बने जिन्होंने ओलंपिक में कप्तानी की। हालांकि, उस ओलंपिक में भारतीय टीम का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा और उन्हें बाद में टीम से हटा दिया गया।
अपने खेल करियर के बाद, छेत्री ने कोचिंग में कदम रखा। वे भारतीय पुरुष और महिला टीमों के सहायक कोच रह चुके हैं। 2018 में, उन्हें खेल में लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए प्रतिष्ठित ध्यानचंद अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। भारतीय हॉकी को मजबूत करने और युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए वे कालिमपोंग में अपनी हॉकी अकादमी चला रहे हैं।