क्या भारतीय क्रिकेट के 'टाइगर' ने टीम इंडिया को नई पहचान दिलाई?

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क्या भारतीय क्रिकेट के 'टाइगर' ने टीम इंडिया को नई पहचान दिलाई?

सारांश

क्या नवाब मंसूर अली खान पटौदी ने भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया? जानिए उन्होंने अपनी अद्वितीय कप्तानी और साहसी बल्लेबाजी के बल पर टीम इंडिया को कैसे एक नई पहचान दिलाई। उनके सफर की अनकही कहानियाँ और उपलब्धियाँ जानने के लिए पढ़ें।

Key Takeaways

  • नवाब पटौदी ने भारतीय क्रिकेट को नई पहचान दिलाई।
  • उनकी साहसी बल्लेबाजी ने टीम इंडिया को मजबूती दी।
  • उन्होंने कप्तानी में 9 टेस्ट मैच जीते।
  • पटौदी ने 2,793 टेस्ट रन बनाए।
  • उनको 'विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर' से सम्मानित किया गया।

नई दिल्ली, 21 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक अद्वितीय बल्लेबाज और कप्तान नवाब मंसूर अली खान पटौदी ने महज 21 वर्ष और 77 दिन की आयु में भारत के सबसे युवा कप्तान बनने का गौरव हासिल किया। एक दुखद दुर्घटना में अपनी दाहिनी आंख की दृष्टि खोने के बावजूद, नवाब पटौदी गेंदबाजों पर बेखौफ होकर हावी होते थे।

नवाब पटौदी का फुटवर्क और टाइमिंग अद्वितीय थी। वह स्पिन के खिलाफ एक कुशल बल्लेबाज रहे हैं। उनकी शानदार कवर ड्राइव ने हमेशा दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। जब टीम संकट में होती, तब वह साहस और आत्मविश्वास से रन बनाकर मैच को संभालते। उनकी साहसी बल्लेबाजी और नेतृत्व ने टीम इंडिया को एक नई पहचान दिलाई।

5 जनवरी 1941 को भोपाल में जन्मे टाइगर पटौदी ने अपने पिता इफ्तिखार अली खान पटौदी के मार्ग पर चलते हुए क्रिकेट में कदम रखा। इफ्तिखार अली ने 1932 से 1946 तक टेस्ट फॉर्मेट खेला था।

टाइगर पटौदी ने 1957 में फर्स्ट क्लास करियर की शुरुआत की, जिसमें उनका प्रदर्शन शानदार रहा। इसके बाद दिसंबर 1961 में उन्हें भारत की ओर से डेब्यू करने का मौका मिला। अगले ही वर्ष उन्हें टीम की कप्तानी सौंपी गई। उन्होंने जिन 40 टेस्ट मैचों में कप्तानी की, उनमें टीम इंडिया ने 9 मुकाबले जीते।

टाइगर पटौदी की कप्तानी में भारत ने 1967 में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपनी पहली विदेशी टेस्ट जीत हासिल की। उन्हें उसी वर्ष 'विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर' के सम्मान से नवाजा गया।

पटौदी का मानना था कि भारतीय टीम को अपनी ताकत के अनुसार खेलना चाहिए, और इसी सोच ने टीम इंडिया के जीत प्रतिशत में सुधार लाने में मदद की।

मंसूर अली खान पटौदी ने अपने टेस्ट करियर में 46 मुकाबले खेले, जिसमें 34.91 की औसत के साथ 2,793 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से 6 शतक और 16 अर्धशतक निकले।

उन्होंने 310 फर्स्ट क्लास मुकाबलों में 33.67 की औसत के साथ 15,425 रन बनाए। इस दौरान पटौदी ने 33 शतक और 75 अर्धशतक जमाए।

रिटायरमेंट के बाद, पटौदी मैच रेफरी बने और सुनील गावस्कर और रवि शास्त्री के साथ 2007 से आईपीएल गवर्निंग काउंसिल का हिस्सा रहे।

साल 1964 में टाइगर पटौदी को 'अर्जुन पुरस्कार' से सम्मानित किया गया, और 1967 में उन्हें 'पद्म श्री' से नवाजा गया। 22 सितंबर 2011 को 70 वर्ष की आयु में नवाब पटौदी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

Point of View

नवाब मंसूर अली खान पटौदी का क्रिकेट में योगदान अद्वितीय है। उनकी कप्तानी और बल्लेबाजी ने न केवल भारतीय क्रिकेट को नई पहचान दी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनी। उनका संघर्ष और सफलता हमें यह सिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद कैसे आगे बढ़ना चाहिए।
NationPress
21/09/2025

Frequently Asked Questions

नवाब पटौदी कब और कहाँ जन्मे थे?
नवाब मंसूर अली खान पटौदी का जन्म 5 जनवरी 1941 को भोपाल में हुआ था।
पटौदी ने कितने टेस्ट मैचों में कप्तानी की?
पटौदी ने 40 टेस्ट मैचों में कप्तानी की, जिसमें भारत ने 9 मैच जीते।
नवाब पटौदी को कौन से पुरस्कार मिले?
उनको 1964 में 'अर्जुन पुरस्कार' और 1967 में 'पद्म श्री' से सम्मानित किया गया।
पटौदी का क्रिकेट करियर कब शुरू हुआ?
टाइगर पटौदी ने 1957 में फर्स्ट क्लास करियर की शुरुआत की।
पटौदी की खासियत क्या थी?
उनका फुटवर्क और टाइमिंग लाजवाब थी, और वे स्पिन के खिलाफ निपुण बल्लेबाज रहे।