ब्रोंको टेस्ट क्या है? यो-यो टेस्ट के रहते इसकी आवश्यकता भारतीय टीम को क्यों पड़ी?

सारांश
Key Takeaways
- ब्रोंको टेस्ट को तेज गेंदबाजों के लिए लाया गया है।
- खिलाड़ियों को 1200 मीटर की दौड़ पूरी करनी होती है।
- इस टेस्ट से फिटनेस का सही मूल्यांकन होगा।
- खेल में सहनशक्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी।
- खिलाड़ियों की ऊर्जा और निरंतरता को बनाए रखने में सहायक।
नई दिल्ली, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। किसी भी खेल के लिए फिटनेस का उच्चतम स्तर अत्यंत आवश्यक है। क्रिकेट में भी खेल के विकास के साथ फिटनेस का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। पहले, भारतीय क्रिकेटरों के फिटनेस स्तर का मूल्यांकन करने के लिए बीसीसीआई केवल यो-यो टेस्ट का उपयोग करती थी। लेकिन अब, टीम इंडिया के हेल्थ और स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच एड्रियन ले रूक्स ने ब्रोंको टेस्ट को पेश किया है। आइए जानते हैं कि ब्रोंको टेस्ट क्या है और यह भारतीय क्रिकेटरों को कैसे मजबूत और फिट बनाएगा।
ब्रोंको टेस्ट रग्बी खेल से संबंधित है। इसका उद्देश्य खिलाड़ियों की फिटनेस और सहनशक्ति को बढ़ाना है। इस टेस्ट में खिलाड़ियों को लगातार दौड़ना होता है। पहले 20 मीटर, फिर 40 मीटर, और अंत में 60 मीटर की दौड़ लगानी होती है। तीनों दौड़ को मिलाकर एक सेट बनता है, और खिलाड़ियों को कुल 1200 मीटर की दौड़ लगानी होती है। पाँच सेट को 6 मिनट के अंदर पूरा करना होता है। कम समय में लगातार दौड़ इस टेस्ट को कठिन बनाता है।
यह टेस्ट खासकर तेज गेंदबाजों के लिए लागू किया गया है। कोचिंग स्टाफ का मानना है कि खिलाड़ी जिम में अधिक समय बिता रहे हैं जबकि मैदान पर दौड़ना अधिक महत्वपूर्ण है। यह टेस्ट यह सुनिश्चित करेगा कि तेज गेंदबाज लंबे स्पेल के दौरान बिना थकान के गेंदबाजी की गति बनाए रख सकें।
ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड दौरे पर भारतीय तेज गेंदबाजों, विशेषकर जसप्रीत बुमराह को लंबे स्पेल में परेशानी का सामना करना पड़ा था। इंग्लैंड दौरे पर सभी पांच टेस्ट खेलने वाले एकमात्र तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज थे। ऐसे में टेस्ट मैचों में गेंदबाजों की निरंतरता और ऊर्जा बनाए रखने के लिए ब्रोंको टेस्ट लाया गया है।
रिपोर्टों के अनुसार, कुछ भारतीय खिलाड़ियों ने बेंगलुरु स्थित बीसीसीआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में ब्रोंको टेस्ट दिया है। बीसीसीआई पहले यो-यो टेस्ट और 2 किलोमीटर टाइम ट्रायल जैसी फिटनेस परीक्षाएं लेती आ रही है। अब ब्रोंको टेस्ट को भी इन मानकों में शामिल किया गया है। दोनों टेस्ट प्रणालियों को मिलाकर खिलाड़ियों के फिटनेस स्तर का मूल्यांकन किया जाएगा।
ब्रोंको टेस्ट लाने वाले ले रूक्स जून में भारतीय टीम के स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच के रूप में जुड़े थे। वह पहले भी जनवरी 2002 से मई 2003 तक इसी पद पर टीम इंडिया के लिए काम कर चुके हैं। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट टीम और आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स और पंजाब किंग्स के साथ भी काम किया है।