क्या 'मिनी ब्राजील' के विचारपुर गांव में जर्मन कोच डाइटमार का फुटबॉल के प्रति जुनून प्रभावित हुआ?
सारांश
Key Takeaways
- डाइटमार बेयर्सडॉर्फर की यात्रा ने विचारपुर की फुटबॉल संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय पहचान दी।
- जर्मनी में प्रशिक्षण ले चुके खिलाड़ियों ने यूरोपीय तकनीक का अनुभव प्राप्त किया।
- स्थानीय खिलाड़ियों की ऊर्जा और जुनून ने कोच को प्रभावित किया।
- भविष्य में तकनीकी सहयोग और ट्रेनिंग कैंप की संभावनाएँ चर्चा में हैं।
- भारत-जर्मनी फुटबॉल सहयोग का क्रांतिकारी अध्याय शुरू हो सकता है।
शहडोल, २४ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जर्मनी के प्रसिद्ध फुटबॉल कोच डाइटमार बेयर्सडॉर्फर 'मिनी ब्राजील' के नाम से जाने जाने वाले विचारपुर गांव में पहुंचे। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने गांव में फुटबॉल की गहरी परंपरा, स्थानीय युवाओं का जुनून और खेल के प्रति उनकी निरंतर प्रतिबद्धता को महसूस किया।
बेयर्सडॉर्फर ने न केवल स्थानीय खिलाड़ियों से मुलाकात की, बल्कि उन परिवारों से भी बात की, जिनके बच्चे हाल ही में जर्मनी जा कर आधुनिक फुटबॉल प्रशिक्षण प्राप्त कर लौटे हैं।
जर्मनी के पूर्व फुटबॉलर ने यह भी बताया कि यहाँ का जुनून किसी भी बड़े फुटबॉल राष्ट्र से कम नहीं है, और यही विचारपुर की असली ताकत है।
कुछ महीनों पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ बातचीत के दौरान मध्यप्रदेश के शहडोल जिले को 'मिनी ब्राजील' कहा था।
पीएम ने यहां के युवाओं की फुटबॉल के प्रति दीवानगी और उभरती प्रतिभा की सराहना की थी, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रभाव डाला।
जर्मन कोच डाइटमार ने विचारपुर के ५ युवा खिलाड़ियों को जर्मनी में उन्नत प्रशिक्षण के लिए आमंत्रित किया था। ये खिलाड़ी हाल ही में जर्मनी से लौटे हैं, जहाँ उन्होंने यूरोपीय फुटबॉल की तकनीक, फिटनेस और आधुनिक कोचिंग का अनुभव प्राप्त किया।
कोच ने कहा कि जर्मनी में प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने खिलाड़ियों से वादा किया था कि वह खुद विचारपुर आएंगे और यहां के खिलाड़ियों, उनके परिवारों और फुटबॉल संस्कृति को देखेंगे। अंततः, शहडोल ने अपना वादा निभाया।
इस दौरान, बेयर्सडॉर्फर ने स्थानीय कोचों और ग्रामीणों के साथ भी चर्चा की और भविष्य के लिए तकनीकी सहयोग, ट्रेनिंग कैंप और एक्सचेंज प्रोग्राम की संभावनाओं के प्रति सकारात्मक संकेत दिए।
उन्होंने खिलाड़ियों के परिजनों से बातचीत की और उनके संघर्ष और समर्पण की कहानियाँ सुनीं। बेयर्सडॉर्फर ने कहा कि यहां का फुटबॉल जुनून उन्हें ब्राजील और यूरोप के पारंपरिक फुटबॉल समुदायों की याद दिलाता है।
जर्मन कोच ने विचारपुर के खिलाड़ियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यहां के बच्चों में फुटबॉल के प्रति जो जुनून और ऊर्जा है, वह वास्तव में अद्भुत है। ये बच्चे भविष्य में देश का नेतृत्व करने की पूरी क्षमता रखते हैं।
उन्होंने भारत और जर्मनी के बीच फुटबॉल सहयोग को एक नए क्रांतिकारी अध्याय की शुरुआत के रूप में देखने से जुड़े सवाल पर कहा कि यह केवल एक दौरा नहीं है, बल्कि पारस्परिक विश्वास और साझेदारी की शुरुआत है।
डाइटमार ने बताया कि उन्होंने १४-१५ साल की उम्र में फुटबॉल खेलना शुरू किया था। खेल के प्रति जुनून ने ही उन्हें जर्मन नेशनल टीम तक पहुंचाया।
जर्मनी में प्रशिक्षण लेकर लौटे खिलाड़ियों की प्रशंसा करते हुए डाइटमार ने कहा कि इनमें अद्भुत टैलेंट है, जिसे सही दिशा की आवश्यकता है।
कोच ने भारत और जर्मनी के बीच खेल सहयोग को और मजबूत बनाने पर चर्चा करते हुए कहा, "हम अब एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। अनुभवों और तकनीकों का आदान-प्रदान जारी है। मैं बड़े वादे करने में विश्वास नहीं रखता, लेकिन यह यात्रा एक मजबूत नींव रख चुकी है। हम भारत आए हैं, ताकि यहां की वास्तविक परिस्थितियों और खिलाड़ियों की क्षमता को गहराई से समझ सकें। हमें विश्वास है कि इस साझेदारी का परिणाम जल्द ही मैदान में नजर आएगा।"