क्या नयन मोंगिया की शतकीय पारी ने इयान चैपल का दिल जीता?
सारांश
Key Takeaways
- नयन मोंगिया का अद्वितीय करियर और उपलब्धियां
- ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 152 रन की पारी का महत्व
- क्रिकेट में विकेटकीपिंग की भूमिका
- भारत में विकेटकीपर बल्लेबाजों का विकास
- कोचिंग में मोंगिया की सक्रियता
नई दिल्ली, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। महेंद्र सिंह धोनी के भारतीय क्रिकेट टीम में आगमन के बाद से विकेटकीपर बल्लेबाजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। वर्तमान में ऋषभ पंत, संजू सैमसन, जितेश शर्मा, ध्रुव जुरेल, और ईशान किशन के बीच टीम में स्थान बनाने के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा देखी जा रही है। इसके अलावा, प्रभसिमरन सिंह जैसे अन्य विकेटकीपर भी टीम में जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन एक ऐसा समय था जब भारतीय टीम में विकेटकीपर के रूप में नयन मोंगिया का कोई विकल्प नहीं था।
नयन मोंगिया का जन्म 19 दिसंबर 1969 को बड़ौदा, गुजरात में हुआ। उन्होंने अपने घरेलू क्रिकेट करियर की शुरुआत बड़ौदा के लिए की। अपनी उत्कृष्ट बल्लेबाजी और शानदार विकेटकीपिंग के कारण मोंगिया को जनवरी 1994 में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट में भारत के लिए डेब्यू करने का अवसर मिला। उसी वर्ष फरवरी में, उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ वनडे में भी पदार्पण किया।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मोंगिया ने अपनी विकेटकीपिंग से काफी नाम कमाया। उन्होंने वनडे में एक मैच में 5 कैच लेने की उपलब्धि 2 बार हासिल की। बाद में, महेंद्र सिंह धोनी ने इस रिकॉर्ड को तोड़ा। विकेट के पीछे उनकी सजगता के कारण विपक्षी बल्लेबाज कई बार भारतीय गेंदबाजों के खिलाफ हिट लगाने से पहले सोचते थे।
मोंगिया ने 1996 में दिल्ली में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए टेस्ट मैच में भारतीय पारी की शुरुआत करते हुए 152 रन की पारी खेली। स्पिनरों के लिए अनुकूल मानी जाने वाली पिच पर उनकी यह पारी अत्यंत महत्वपूर्ण थी। ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज इयान चैपल ने मोंगिया की इस पारी को 'स्किल, धैर्य और फोकस' वाली पारी कहा। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शतक लगाना और उसकी सराहना प्राप्त करना बहुत महत्वपूर्ण था। सुनील गावस्कर के अनुसार, ऑस्ट्रेलियाई किसी की तारीफ नहीं करते। मोंगिया की वह पारी उस समय भारतीय विकेटकीपर द्वारा टेस्ट में खेली गई सबसे बड़ी पारी थी। भारत ने इस मैच को 7 विकेट से जीता।
एक विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में नयन मोंगिया भारतीय टीम में स्थायी रूप से स्थापित थे। 2001 में मैच फिक्सिंग के आरोपों के चलते उन्हें टीम से बाहर होना पड़ा। 2004 में, उन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया।
मोंगिया ने 1994 से 2001 के बीच 44 टेस्ट में 1 शतक और 6 अर्धशतक की मदद से 1,442 रन बनाए। इस दौरान, उन्होंने 99 कैच पकड़े और 8 स्टंप किए। वहीं, 140 वनडे की 96 पारियों में उन्होंने 2 अर्धशतक की मदद से 1,272 रन बनाए और 110 कैच और 44 स्टंप उनके नाम हैं।
संन्यास के बाद, मोंगिया ने कोचिंग के क्षेत्र में सक्रियता दिखाई और थाइलैंड क्रिकेट टीम के कोच रहे हैं।