क्या सिराज को स्ट्राइक देने का फैसला गलत था, जडेजा को जोखिम उठाना चाहिए था? : अनिल कुंबले

सारांश
Key Takeaways
- जडेजा ने दिखाया संयम और धैर्य
- सिराज को स्ट्राइक देने का निर्णय गलत था
- भारतीय टीम ने ६३ अतिरिक्त रन दिए
- यह सीरीज टेस्ट क्रिकेट के रोमांच का उदाहरण है
- कुंबले ने हार को एक महत्वपूर्ण सीख बताया
नई दिल्ली, १५ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। लॉर्ड्स में खेले गए तीसरे टेस्ट में ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा ने नाबाद और जुझारू ६१ रन की पारी खेली, जिसे उनके करियर की बेहतरीन पारियों में से एक माना जा रहा है। पूर्व कप्तान अनिल कुंबले ने कहा कि मैच के अंत में जडेजा की एक महत्वपूर्ण रणनीतिक गलती के चलते भारत को जीत से हाथ धोना पड़ा। भारत ने यह मैच २२ रन से गंवाया।
अनिल कुंबले ने कहा कि शोएब बशीर की गेंद पर पुछल्ले बल्लेबाज मोहम्मद सिराज को एक पूरा ओवर देने का निर्णय सही नहीं था। अगर किसी को जोखिम उठाना था, तो वह जडेजा होते, सिराज नहीं। जब जीत के लिए केवल २३ रन चाहिए थे, तब सिराज को बशीर का पूरा ओवर खेलने देना एक गलती थी।
जडेजा पांचवें दिन सातवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए आए, जब भारत टीम ७१ पर ५ विकेट गंवा चुकी थी। उन्होंने संयम और धैर्य के साथ बल्लेबाजी की और विकेट गिरने के बावजूद धीरे-धीरे स्कोर को बढ़ाया। उनकी नाबाद ६१ रनों की पारी ने भारत को जीत की दहलीज पर ला खड़ा किया। लेकिन, बशीर की एक गेंद, जिसे सिराज ने रोका था, विकेट में जा लगी और भारत की रोमांचक जीत की उम्मीद टूट गई।
सिराज का विकेट कुंबले को १९९९ में चेन्नई में पाकिस्तान के हाथों भारत की हार की याद दिला दिया।
कुंबले ने कहा, "इस हार ने मुझे उस टेस्ट मैच की याद दिला दी, जब जवागल श्रीनाथ को सकलैन मुश्ताक ने बोल्ड किया था। वह सचिन तेंदुलकर का साथ दे रहे थे, जिन्होंने लगभग चमत्कार कर दिखाया था। यह भी कुछ वैसा ही एहसास है।"
रवींद्र जडेजा ने अपनी पारी के दौरान जिस संयम, धैर्य और रणनीति का परिचय दिया, उसकी सराहना करते हुए कुंबले ने कहा कि उन्हें इंग्लैंड की स्पिन तिकड़ी बशीर, रूट और वोक्स के खिलाफ पहले ही सोच-समझकर जोखिम उठाना चाहिए था। जडेजा में उनके खिलाफ खेलने की क्षमता है। इससे स्थिति बदल सकती थी।
पूर्व कप्तान ने भारतीय टीम द्वारा मैच में कुल ६३ अतिरिक्त रन दिए जाने को भी हार का बड़ा कारण माना।
कुंबले ने कहा कि यह सीरीज टेस्ट क्रिकेट के रोमांच का एक शानदार उदाहरण साबित हो रही है। यह सीरीज सत्र-दर-सत्र कड़ी टक्कर वाली रही है। इससे पता चलता है कि टेस्ट क्रिकेट जीवंत और सक्रिय है।