क्या पाकिस्तान के सबसे उम्रदराज क्रिकेटर वजीर मोहम्मद का निधन हो गया?

सारांश
पाकिस्तान क्रिकेट के महान बल्लेबाज वजीर मोहम्मद का निधन 95 वर्ष की आयु में हुआ। उनका योगदान और उपलब्धियाँ क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में अमर रहेंगी। जानिए उनके जीवन और करियर के बारे में।
Key Takeaways
- वजीर मोहम्मद का जन्म 22 दिसंबर 1929 को हुआ था।
- उन्होंने 20 टेस्ट मैच खेले और 801 रन बनाए।
- उनका अंतिम टेस्ट नवंबर 1959 में हुआ था।
- वे पाकिस्तान क्रिकेट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण नाम हैं।
- विज़ीर ने क्रिकेट के बाद पीसीबी के लिए सलाहकार के रूप में काम किया।
कराची, 13 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान के पूर्व टेस्ट बल्लेबाज वजीर मोहम्मद का सोमवार को 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। इस बात की पुष्टि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने की है।
22 दिसंबर 1929 को जूनागढ़ में जन्मे वजीर मोहम्मद उस परिवार का हिस्सा थे, जिसने पाकिस्तान क्रिकेट की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वजीर मोहम्मद के भाई हनीफ, मुश्ताक और सादिक मोहम्मद ने पाकिस्तान के लिए क्रिकेट खेला, जबकि एक अन्य भाई रईस ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में भाग लिया, लेकिन राष्ट्रीय टीम का हिस्सा नहीं बन सके।
वजीर मोहम्मद ने 1954 में ओवल टेस्ट के दौरान इंग्लैंड के खिलाफ नाबाद 42 रन की पारी खेली थी, जिसने पाकिस्तान को जीत दिलाई।
उस मुकाबले में पाकिस्तानी टीम पहली पारी में केवल 133 रन पर सिमट गई, जबकि इंग्लैंड ने 130 रन बनाए। पाकिस्तान ने दूसरी पारी में 134 रन बनाए और इंग्लैंड को 143 रन पर समेटकर मैच जीत लिया।
दो साल बाद, कराची में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ, वजीर ने 70/5 के मुश्किल स्कोर से टीम को उबारा। उनकी 104 रनों की साझेदारी और 67 रनों की पारी ने पाकिस्तान को एक और यादगार जीत दिलाई। 1957-58 में वजीर ने वेस्टइंडीज के खिलाफ पोर्ट ऑफ स्पेन में 189 रनों की शानदार पारी भी खेली थी, जो आज भी फैंस के दिल में बसी हुई है।
वजीर मोहम्मद ने अपने करियर में 20 टेस्ट खेले, जिसमें 33 पारियों में 27.62 की औसत से 801 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से 2 शतक और 3 अर्धशतक निकले। वहीं, 105 फर्स्ट क्लास मुकाबलों में उन्होंने 40.40 की औसत से 4,930 रन बनाकर 11 शतक और 26 अर्धशतक जमाए।
वजीर ने नवंबर 1959 में अपना अंतिम टेस्ट खेला। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्होंने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के लिए सलाहकार के रूप में कार्य किया और बाद में वे ब्रिटेन चले गए।