क्या सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी अपने पिता के नक्शेकदम पर चलकर भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं?

सारांश
Key Takeaways
- सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी ने अपने पिता के सपनों को साकार किया।
- उन्होंने २०१८ में कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीता।
- सात्विक और चिराग ने २०२३ में एशियन गेम्स में गोल्ड जीता।
- उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
- सात्विक की जोड़ी विश्व रैंकिंग में शीर्ष पर पहुँची।
नई दिल्ली, १२ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी ने अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए बैडमिंटन को चुना, और भारत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का सपना देखा। उनके पिता, काशी विश्वनाथ, राज्य स्तरीय बैडमिंटन खिलाड़ी रहे, लेकिन वे देश के लिए किसी बड़े टूर्नामेंट में पदक नहीं जीत सके। पिता को विश्वास था कि उनका बेटा वह सपना पूरा करेगा, और सात्विक ने यही कर दिखाया।
सात्विक का जन्म १३ अगस्त २००० को आंध्र प्रदेश के अमलापुरम में हुआ। जब वे केवल छह वर्ष के थे, तब उन्होंने बैडमिंटन का रैकेट उठाया। उनके पहले कोच उनके पिता ही थे, जिन्होंने उन्हें इस खेल की तकनीक सिखाई।
सात्विक का खेल अद्वितीय था और उनके पिता उनके टैलेंट को पहचान चुके थे। २०१४ में उन्हें गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी भेजा गया, जहाँ उन्हें पुलेला गोपीचंद का मार्गदर्शन मिला।
उन्होंने अंडर-१३ स्तर पर सब-जूनियर स्टेट बैडमिंटन चैंपियनशिप में पहला खिताब जीता। इसके बाद, २०१४ में अंडर-१७ वर्ग में सब-जूनियर नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप में कृष्णा प्रसाद गारगा के साथ पहला राष्ट्रीय युगल खिताब जीता।
२०१५ में, इस जोड़ी ने अंडर-१७ एशियन जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप में पहला अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडल जीता। उसी वर्ष, टाटा ओपन इंडिया इंटरनेशनल में मिक्स्ड डबल्स में कुल्लपल्ली मनीषा के साथ सीनियर स्तर पर अपना पहला अंतरराष्ट्रीय खिताब जीता।
२०१६ में, सात्विक के डबल्स बैडमिंटन कोच, किम तान हेर ने उनकी जोड़ी चिराग शेट्टी के साथ बनाई। दोनों एक-दूसरे की भाषा नहीं समझते थे, लेकिन अपने आक्रामक खेल के दम पर उन्होंने विपक्षियों को चौंका दिया।
इस जोड़ी ने कॉमनवेल्थ गेम्स-२०१८ के मिक्स्ड डबल्स इवेंट में गोल्ड मेडल जीता और मेंस डबल्स में सिल्वर जीता। इसके बाद, उन्होंने हैदराबाद ओपन सुपर 100 में अपना पहला बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर खिताब जीता।
कुछ सालों में ही, सात्विक-चिराग की जोड़ी सुपर 100 से लेकर सुपर 1000 तक हर श्रेणी में खिताब जीतने वाली दुनिया की पहली मेंस डबल्स जोड़ी बनी।
२०२३ में, उन्होंने एशियन गेम्स-२०२३ में गोल्ड जीता और बैडमिंटन रैंकिंग में वर्ल्ड नंबर-१ बनने वाली पहली भारतीय डबल्स जोड़ी बनी।
उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स २०२२ में भी गोल्ड मेडल जीता और २०२२ में थॉमस कप अपने नाम किया।
२०२३ में, सात्विक-चिराग ने दुबई में एशियन बैडमिंटन चैंपियनशिप में मेंस डबल्स का खिताब जीतकर भारत के ५८ वर्षों के इंतजार को समाप्त किया।
सात्विक-चिराग ने टोक्यो ओलंपिक २०२० में चीनी ताइपे की जोड़ी को हराया, लेकिन वे ग्रुप स्टेज से बाहर हो गए।
पेरिस ओलंपिक २०२४ में, इस जोड़ी ने क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया, लेकिन पदक जीतने में असफल रहे।
सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी को २०२० में अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा गया, और २०२४ में उन्हें मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।