क्या भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव से राहत पाने के लिए ये 3 योगासन मददगार हैं?

सारांश
Key Takeaways
- योग से तनाव में कमी आती है।
- रोजाना 10-15 मिनट का अभ्यास करें।
- ताड़ासन से पॉश्चर में सुधार होता है।
- उत्तानासन से रक्त संचार बेहतर होता है।
- भुजंगासन से रीढ़ की हड्डी लचीली होती है।
नई दिल्ली, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। आज की तेज रफ्तार जिंदगी में हर किसी के लिए समय की भारी कमी महसूस होती है। सुबह से लेकर रात तक लगातार कंप्यूटर और मोबाइल स्क्रीन के सामने बैठना, शारीरिक गतिविधियों की कमी और मानसिक तनाव... ये सभी बातें हमारे शरीर को धीरे-धीरे जकड़ने लगती हैं। थकान, अकड़न, पीठ और गर्दन में खिंचाव जैसे लक्षण अब आम होते जा रहे हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि हम अपनी दिनचर्या में कुछ ऐसा शामिल करें जो न केवल शरीर को राहत दे, बल्कि मन को भी शांति प्रदान करे।
आयुष मंत्रालय के अनुसार, योग एक ऐसा विकल्प है जो न केवल शरीर को फिट रखता है, बल्कि उसे भीतर से मजबूत और लचीला भी बनाता है। योग के कुछ विशेष आसन शरीर की मांसपेशियों को खींचते हैं, तनाव को दूर करते हैं और रिलैक्स होने में मदद करते हैं। रोजाना केवल 10 से 15 मिनट का योगाभ्यास भी शरीर को स्फूर्ति देता है।
ताड़ासन: इस आसन में पूरे शरीर को ऊपर की ओर खींचते हैं, जिससे रीढ़ की हड्डी से लेकर एड़ियों तक हर मांसपेशी में खिंचाव आता है, जिससे शरीर का पॉश्चर सुधरता है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर की लंबाई में भी सुधार हो सकता है, साथ ही संतुलन और स्थिरता में भी वृद्धि होती है। यह आसन मांसपेशियों को सक्रिय करता है और शरीर को दिनभर के लिए तैयार करता है।
उत्तानासन: जो लोग घंटों एक ही स्थिति में बैठे रहते हैं, उनके लिए यह आसन एक वरदान है। इससे हैमस्ट्रिंग, पीठ और रीढ़ की हड्डी को खिंचाव मिलता है। यह शरीर के निचले हिस्से की अकड़न को दूर करता है और रक्त संचार को सुधारता है। झुकते समय जो उल्टा रक्त प्रवाह होता है, वह दिमाग को ऑक्सीजन पहुँचाता है, जिससे मानसिक तनाव भी कम होता है। धीरे-धीरे इसका अभ्यास पीठ दर्द से राहत दिलाने में भी कारगर सिद्ध होता है।
भुजंगासन: इस आसन में शरीर का आकार फन उठाए हुए सांप जैसा होता है। यह विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाने में मदद करता है। जब आप छाती को ऊपर उठाते हैं और कमर से झुकते हैं, तो पीठ की मांसपेशियों को सक्रियता मिलती है। इससे न केवल जकड़न कम होती है बल्कि शरीर की मुद्रा में सुधार आता है। यह कंधों और छाती को भी खोलता है, जिससे श्वसन प्रणाली बेहतर ढंग से काम करने लगती है।