क्या सरकार को डेमोक्रेसी में विश्वास है तो मुख्य चुनाव आयुक्त को हटा देना चाहिए: अशोक गहलोत?

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क्या सरकार को डेमोक्रेसी में विश्वास है तो मुख्य चुनाव आयुक्त को हटा देना चाहिए: अशोक गहलोत?

सारांश

अशोक गहलोत ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि वह डेमोक्रेसी में विश्वास करती है, तो उसे मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाना चाहिए। जानिए उनके ताजा बयान की पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • अशोक गहलोत ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए।
  • उन्होंने सरकार को डेमोक्रेसी में विश्वास रखने की सलाह दी।
  • राजस्थान में लोगों की स्थिति खराब है।
  • कारणों का विश्लेषण करने की आवश्यकता है।
  • संसद में प्राइवेटाइजेशन पर चर्चा की जाएगी।

जयपुर, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। एसआईआर के संदर्भ में राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है। चुनाव आयोग न तो इसे समझ पा रहा है और न ही जानबूझकर यह सब कर रहा है। राहुल गांधी के साथ जो व्यवहार हुआ है, वह एकतरफा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आयोग निष्पक्ष नहीं है।

अशोक गहलोत ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि यदि चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं है, तो यह लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है। सभी पार्टियों को चुनाव आयोग से निष्पक्षता की उम्मीद होती है। ऐसी स्थिति मैंने आजादी के बाद कभी नहीं देखी। ऐसे व्यक्ति को पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है।

उन्होंने कहा कि यदि सरकार को डेमोक्रेसी में विश्वास है, तो उसे ऐसे व्यक्ति को पद पर नहीं रहने देना चाहिए, जिसने अपनी और चुनाव आयोग की निष्पक्षता समाप्त कर दी है। मुख्य चुनाव आयुक्त को हटा देना चाहिए।

राजस्थान सरकार पर तीखा हमला करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने जनता का भरोसा खो दिया है। किसी भी कार्यक्रम में लोग नहीं आ रहे हैं, कुर्सियां खाली रहती हैं। यह सरकार और इसके नेतृत्व को समझना चाहिए। ये सभी फेल हो चुके हैं। यदि लोग नहीं आ रहे हैं, तो यह संकेत है कि जनता ने सरकार पर से भरोसा खो दिया है।

उन्होंने कहा कि राज्य में लोगों की स्थिति खराब है। कई लोग शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें पेंशन नहीं मिल रही है। दो-तीन महीने से पेंशन न पाने वालों की सूची काफी लंबी है। मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और संबंधित मंत्री सभी अलग-अलग बातें कर रहे हैं। उनमें कोई समन्वय नहीं है। जिन्हें पेंशन मिलती है, उनके लिए यह महत्वपूर्ण राशि होती है, लेकिन ये लोग इसे समझ नहीं पा रहे हैं।

न्यूक्लियर सेक्टर में प्राइवेटाइजेशन को बढ़ावा देने पर उन्होंने कहा कि इस मामले को संसद में आने देना चाहिए। वहां चर्चा होगी। दोनों पक्ष अपनी बात रखेंगे। संसद में चर्चाएं होंगी कि इनकी नीति क्या है और दुनिया भर का अनुभव क्या है। इसके बाद ही कुछ कहना उचित होगा।

Point of View

और जब इस पर सवाल उठते हैं, तो यह पूरे राजनीतिक तंत्र को प्रभावित करता है।
NationPress
28/11/2025

Frequently Asked Questions

अशोक गहलोत ने चुनाव आयोग पर क्या आरोप लगाए हैं?
उन्होंने कहा है कि चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं है और इसकी कार्रवाई एकतरफा है।
क्या गहलोत ने सरकार पर भी आरोप लगाए हैं?
हाँ, उन्होंने कहा कि सरकार ने जनता का भरोसा खो दिया है।
मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने की मांग क्यों की गई है?
गहलोत का कहना है कि यदि सरकार डेमोक्रेसी में विश्वास करती है, तो ऐसे व्यक्ति को पद पर नहीं रहना चाहिए।
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