क्या बलबीर सिंह महानतम हॉकी खिलाड़ी हैं जिन्होंने लगातार तीन ओलंपिक में देश को गोल्ड दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई?

Click to start listening
क्या बलबीर सिंह महानतम हॉकी खिलाड़ी हैं जिन्होंने लगातार तीन ओलंपिक में देश को गोल्ड दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई?

सारांश

भारतीय हॉकी के इतिहास में बलबीर सिंह का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है। उन्होंने लगातार तीन ओलंपिक में भारत को गोल्ड मेडल दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। जानिए उनके जीवन और उपलब्धियों के बारे में।

Key Takeaways

  • बलबीर सिंह ने भारतीय हॉकी को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया।
  • उन्होंने तीन ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • उनकी उपलब्धियों ने भारतीय युवा खिलाड़ियों को प्रेरित किया।
  • वे 1957 में पद्मश्री से सम्मानित हुए।
  • उनका खेल जीवन भारतीय हॉकी के लिए प्रेरणादायक रहा।

नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय हॉकी का इतिहास स्वर्णिम रहा है। एक समय था जब भारतीय हॉकी टीम विश्व की सबसे ताकतवर टीम मानी जाती थी। इसका प्रमाण ओलंपिक हैं, जहाँ भारतीय हॉकी टीम ने लगातार गोल्ड मेडल जीते। राष्ट्रीय हॉकी टीम के उस स्वर्णिम युग में जिन खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा बिखेरी और देश का मान बढ़ाया, उनमें बलबीर सिंह का नाम अद्वितीय है।

बलबीर सिंह का जन्म 10 अक्टूबर 1924 को हरिपुर, पंजाब में हुआ था। उन्हें बलबीर सिंह सीनियर के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने जब केवल पाँच साल की उम्र में हॉकी खेलना शुरू किया, तब से उनकी हॉकी के प्रति रुचि बढ़ने लगी। 12 वर्ष की उम्र में 1936 में जब उन्होंने भारत की हॉकी टीम को तीसरा ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतते देखा, तब उनके मन में भी देश के लिए खेलकर गौरव लाने की चाह जाग उठी। यही जुनून उन्हें राष्ट्रीय टीम में ले गया।

उन्होंने हॉकी की शुरुआत एक गोलकीपर के रूप में की, फिर बैक फोर में खेलना शुरू किया, लेकिन उनकी असली प्रतिभा तब उजागर हुई जब उन्होंने एक स्ट्राइकर के तौर पर स्थानीय टूर्नामेंट में भाग लिया। पंजाब की हॉकी टीम ने 14 साल से राष्ट्रीय पदक नहीं जीता था, लेकिन बलबीर सिंह सीनियर ने 1946 और 1947 में लगातार दो बार पंजाब को राष्ट्रीय खिताब दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस प्रदर्शन के बाद उन्हें राष्ट्रीय टीम में स्थान मिला।

बलबीर सिंह सीनियर को भारतीय हॉकी का सर्वश्रेष्ठ सेंटर-फॉरवर्ड खिलाड़ी माना जाता है। 1948 (लंदन ओलंपिक), 1952 (हेलिंस्की ओलंपिक), और 1956 (मेलबर्न ओलंपिक) में भारतीय टीम को गोल्ड मेडल दिलाने में उनका योगदान असाधारण रहा। 1958 में एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीतने वाली भारतीय टीम का भी वे हिस्सा रहे थे।

उन्होंने लंदन ओलंपिक में 8 और हेलिंस्की ओलंपिक में 9 गोल किए। हेलिंस्की ओलंपिक का फाइनल नीदरलैंड से था, जहाँ बलबीर ने फाइनल में 5 गोल करके भारत को स्वर्ण पदक दिलाया। यह अभी भी एक ओलंपिक पुरुष हॉकी फाइनल में किसी खिलाड़ी द्वारा किए गए सबसे अधिक गोल के रिकॉर्ड के रूप में दर्ज है। भारत ने यह मुकाबला 6-1 से जीता था। सेमीफाइनल में ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ उन्होंने हैट्रिक लगाई थी। 1956 में भारतीय टीम ने पाकिस्तान को हराकर गोल्ड जीती थी, इस मैच में उन्होंने हाथ में इंजरी के बावजूद खेला।

1957 में भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित होने वाले बलबीर सिंह पहले खिलाड़ी थे। उन्होंने 1960 में खेल से संन्यास लिया। अपने करियर में उन्होंने भारत के लिए 61 मैचों में 246 गोल किए। संन्यास के बाद वह कोच, मैनेजर और हॉकी टीम के चयनकर्ता के रूप में भी जुड़े रहे। बलबीर सिंह सीनियर उस समय भारतीय हॉकी टीम के कोच थे, जब टीम ने 1971 के पहले वर्ल्ड कप में कांस्य पदक जीता। इसके बाद 1975 में एकमात्र विश्व कप जीतने के लिए उन्होंने टीम का मार्गदर्शन किया।

1948 के लंदन ओलंपिक में भारत ने ब्रिटेन को हराकर गोल्ड मेडल जीता था। इस फाइनल में बलबीर सिंह ने दो गोल किए थे। भारत ने यह मैच 4-0 से जीता था। 2018 में इस पर आधारित ‘गोल्ड’ फिल्म बनी थी, जिसमें अक्षय कुमार ने तपन दास का किरदार निभाया।

देश के इस महानतम हॉकी खिलाड़ी का निधन 25 मई 2020 को हुआ।

Point of View

बलबीर सिंह भारतीय हॉकी के प्रतीक हैं। उनका योगदान न केवल खेल में, बल्कि राष्ट्र की पहचान में भी महत्वपूर्ण रहा है। उनकी उपलब्धियों ने नई पीढ़ी को प्रेरित किया है। हमें गर्व है कि हम ऐसे महान खिलाड़ी के देशवासी हैं।
NationPress
09/10/2025

Frequently Asked Questions

बलबीर सिंह का जन्म कब हुआ?
बलबीर सिंह का जन्म 10 अक्टूबर 1924 को हरिपुर, पंजाब में हुआ।
बलबीर सिंह को किस सम्मान से नवाजा गया?
उन्हें 1957 में भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
बलबीर सिंह ने कितने गोल किए थे?
उन्होंने अपने करियर में भारत के लिए 61 मैचों में 246 गोल किए।
बलबीर सिंह ने किस वर्ष में हॉकी से संन्यास लिया?
उन्होंने 1960 में हॉकी से संन्यास लिया।
बलबीर सिंह का निधन कब हुआ?
उनका निधन 25 मई 2020 को हुआ।