क्या बलूच आवाज को दबाने के लिए पाकिस्तान जिहादियों को बढ़ावा दे रहा है?

Click to start listening
क्या बलूच आवाज को दबाने के लिए पाकिस्तान जिहादियों को बढ़ावा दे रहा है?

सारांश

इस रिपोर्ट में पाकिस्तान की सेना की भूमिका को उजागर किया गया है, जो बलूच आवाज को दबाने के लिए जिहादी समूहों को बढ़ावा दे रही है। यह रिपोर्ट बलूचिस्तान में बढ़ते आतंकवादी हमलों और उनके पीछे की राजनीति को दर्शाती है।

Key Takeaways

  • पाकिस्तानी सेना बलूच आवाज को दबाने के लिए जिहादी समूहों का समर्थन कर रही है।
  • क्वेटा में हालिया बम विस्फोट ने बलूचिस्तान की सुरक्षा स्थिति को उजागर किया है।
  • आतंकवादी संगठन आईएसआईएस का बढ़ता प्रभाव एक गंभीर चिंता है।
  • इस्लामाबाद की नीतियाँ बलूचिस्तान को अस्थिर कर रही हैं।
  • स्थानीय राष्ट्रवादी आवाजों को दबाने का प्रयास जारी है।

क्वेटा, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। एक हालिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि पाकिस्तानी सेना ने बलूच आवाज को दबाने के उद्देश्य से जिहादी समूहों को समर्थन दिया है।

द बलूचिस्तान पोस्ट में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, आतंकवादी संगठन आईएसआईएस-खोरासान प्रांत (आईएसकेपी) की एक शाखा, इस्लामिक स्टेट पाकिस्तान प्रांत (आईएसपीपी), ने क्वेटा में 2 सितंबर को बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल (बीएनपी-एम) की रैली पर आत्मघाती हमला किया और बाद में इसकी जिम्मेदारी भी ली। यह घटना पाकिस्तानी हुक्मरानों की सोच को दर्शाती है और बताती है कि बलूचिस्तान की सुरक्षा के प्रति इस्लामाबाद कितनी बेपरवाह है।

इस रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि यह हमला, जिसमें 14 लोगों की जान गई और 30 से अधिक लोग घायल हुए, केवल एक अकेली घटना नहीं है, बल्कि यह बलूचिस्तान को अस्थिर करने की पाकिस्तानी नीतियों का परिणाम है।

रिपोर्ट में कहा गया है, "ये वही ताकतें हैं जो अब अंदरूनी तौर पर जातीय राष्ट्रवादियों, प्रगतिवादियों और राज्य के आलोचकों को सीधे निशाना बना रही हैं।" आईएसकेपी का दुष्प्रचार, विशेषकर "कौमियात का फरेब" (राष्ट्रवाद का धोखा) पुस्तिका, स्पष्ट करती है कि बलूच, पश्तून और प्रगतिशील आवाजों को विदेशी ताकतों के बराबर या उनसे भी अधिक खतरा समझा जाता है।

क्वेटा बम विस्फोट को बलूचिस्तान की लड़ाई को कमजोर करने के लिए इस्लामाबाद द्वारा अपनाए गए पैटर्न की नवीनतम घटना बताते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है, "मार्च 2025 में मस्तुंग में बीएनपी-एम नेताओं पर हमले से लेकर बीएलए, बीएलएफ और बीवाईसी के खिलाफ आईएसकेपी की स्पष्ट धमकियों तक, उग्रवादी एजेंडा बलूच आंदोलन को कमजोर करने के पाकिस्तान के लंबे समय से चले आ रहे अभियान के साथ तेजी से जुड़ता हुआ प्रतीत होता है।"

रिपोर्ट में पिछले साल अफगानिस्तान के जनरल डायरेक्टरेट ऑफ इंटेलिजेंस (जीडीआई) द्वारा आईएसकेपी के खिलाफ एक अभियान के दौरान काबुल में बरामद किए गए दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा गया है कि इनमें अख्तर मेंगल और डॉ. महरंग बलूच सहित इस्लामाबाद के प्रमुख आलोचकों का उल्लेख है जो आतंकी संगठनों की "हिटलिस्ट" में हैं।

अगली रिपोर्ट में कहा गया है, "यह नजरअंदाज करना मुश्किल है कि यही लोग बलूचिस्तान में पाकिस्तान के सैन्य प्रभुत्व के विरोधी भी हैं।"

बलूचिस्तान पोस्ट की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि बलूच लड़ाकों ने मस्तुंग में आईएसकेपी के एक शिविर को नष्ट कर दिया, जिसमें दर्जनों आतंकवादी मारे गए।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अपने नागरिकों को सुरक्षा मुहैया कराने के बजाय, इस्लामाबाद ने बार-बार अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी ढांचे को नहीं बल्कि राष्ट्रवादी आंदोलनों को निशाना बनाने पर जोर दिया है।

इसमें कहा गया है कि इस चुनिंदा दृष्टिकोण के माध्यम से, आतंकी संगठन आईएसआईएस के लिए बलूचिस्तान में पैर जमाने की जगह बनाई गई है, जिससे यह संघर्ष का नया अखाड़ा बन गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, क्वेटा हमला केवल एक आतंकवादी कार्रवाई नहीं, बल्कि "पाकिस्तानी सत्ता और आईएसआईएस से जुड़े संगठनों के बीच पनपी वह सहमति है जो लोकतांत्रिक बलूच आवाजों को दबाने का काम कर रही है।"

रिपोर्ट में कहा गया है, "जब तक यह गठजोड़ नहीं टूटता, बलूचिस्तान न सिर्फ राष्ट्रवादियों और पाकिस्तानी सेना के बीच युद्ध का मैदान बन सकता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय जिहादियों के लिए भी एक मंच बन सकता है।"

Point of View

बलूचिस्तान में जिहादियों का बढ़ता प्रभाव और बलूच आवाजों का दमन एक गंभीर समस्या है। हमें यह समझना चाहिए कि यह केवल एक क्षेत्र की समस्या नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चिंता है।
NationPress
08/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या पाकिस्तान बलूच आवाज को दबाने के लिए जिहादियों को बढ़ावा दे रहा है?
हां, हालिया रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान की सेना बलूच आवाज को दबाने के लिए जिहादी समूहों को समर्थन दे रही है।
क्वेटा में हालिया बम विस्फोट की जिम्मेदारी किसने ली?
क्वेटा में बम विस्फोट की जिम्मेदारी आईएसआईएस-खोरासान प्रांत ने ली थी।
इस्लामाबाद का बलूचिस्तान के प्रति दृष्टिकोण क्या है?
रिपोर्टों के अनुसार, इस्लामाबाद की बलूचिस्तान के प्रति कोई गंभीर चिंता नहीं है, और वह जिहादी समूहों को समर्थन दे रहा है।
क्या बलूचिस्तान में जिहादी समूह सक्रिय हैं?
हां, बलूचिस्तान में जिहादियों की गतिविधियाँ बढ़ी हैं, जो स्थानीय राष्ट्रवादी आवाजों को दबाने का प्रयास कर रहे हैं।
क्या इस्लामाबाद ने बलूचिस्तान में सुरक्षा की स्थिति को नजरअंदाज किया है?
जी हां, रिपोर्टों से स्पष्ट है कि इस्लामाबाद ने स्थानीय समस्याओं को नजरअंदाज किया है और अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों पर ध्यान केंद्रित किया है।