क्या बनासकांठा की मानीबेन ने 1.94 करोड़ का दूध बेचकर सहकारिता में नया मुकाम हासिल किया?

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क्या बनासकांठा की मानीबेन ने 1.94 करोड़ का दूध बेचकर सहकारिता में नया मुकाम हासिल किया?

सारांश

गुजरात के बनासकांठा की मानीबेन ने सहकारी क्षेत्र में साबित किया है कि महिलाएं आत्मनिर्भरता की मिसाल बन सकती हैं। उन्होंने 1.94 करोड़ का दूध बेचा और इस वर्ष 3 करोड़ का लक्ष्य रखा है। जानिए उनकी सफलता की कहानी।

Key Takeaways

  • सहकारिता के माध्यम से महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं।
  • मानीबेन ने 1.94 करोड़ का दूध बेचकर नई मिसाल कायम की।
  • गुजरात में महिलाओं की सहकारी समितियों की संख्या बढ़ रही है।
  • पशुपालन में आधुनिक तकनीकों का उपयोग बढ़ा है।
  • समुदाय में एकजुटता और प्रेरणा का स्रोत बन रही हैं महिलाएं।

गांधीनगर, 18 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है कि देश के सहकारी क्षेत्र को सशक्त बनाकर हर गांव के किसानों और पशुपालकों को समृद्ध किया जाए। इसी दिशा में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात राज्य सहकारी क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

सहकारिता क्षेत्र में उठाए गए कदमों के परिणामस्वरूप राज्य के पशुपालक समृद्ध हो रहे हैं, विशेषकर महिलाएं आत्मनिर्भरता का उदाहरण पेश कर रही हैं। बनासकांठा की मानीबेन की सफलता ने इस बात को साबित किया है। उन्होंने वर्ष 2024-25 में 1 करोड़ 94 लाख रुपए का दूध संग्रहित कर बनासकांठा जिले में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। इस वर्ष उनका लक्ष्य 3 करोड़ रुपए का दूध बेचना है।

कांकरेज तालुका के कसरा गांव की 65 वर्षीय मानीबेन जेसुंगभाई चौधरी प्रतिदिन 1100 लीटर दूध जमा कराती हैं। वर्ष 2024-25 में उन्होंने 3 लाख 47 हजार से अधिक लीटर दूध जमा किया, जिसका मूल्य 1.94 करोड़ रुपए से अधिक है। इस उपलब्धि के लिए उन्हें सम्मान पत्र भी मिला है।

मानीबेन इस सफलता को और ऊंचाइयों तक ले जाने का इरादा रखती हैं। उनके छोटे बेटे विपुलभाई ने बताया कि बनास डेयरी से उन्हें मार्गदर्शन मिल रहा है। 2011 में उनके पास 10 से 12 गाय और भैंस थीं, अब यह संख्या बढ़कर 230 हो गई है। वे इस वर्ष 100 और भैंसें खरीदने की योजना बना रही हैं।

मानीबेन के परिवार ने अपने पशुपालन के लिए शेड की व्यवस्था की है। उनके पास विभिन्न नस्लों की गाय और भैंसें हैं।

मानीबेन के पशुपालन कार्य से लगभग 16 परिवार जुड़े हुए हैं। वे आधुनिक मशीनों का उपयोग कर दूध दुहने का कार्य करती हैं। उनके परिवार के सभी सदस्य इस काम में सक्रिय हैं। विपुलभाई का कहना है कि उनके तीनों भाई ग्रेजुएट हैं और वे सब इस काम में लगे हुए हैं।

गुजरात में महिलाओं द्वारा संचालित डेयरी सहकारी समितियों की संख्या बढ़ी है। राज्य में कुल 16,000 दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियां हैं, जिनमें से लगभग 4,150 पूरी तरह से महिलाओं द्वारा संचालित हैं।

बनास डेयरी जैसी बड़ी डेयरियों में महिला पशुपालकों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन महिलाओं ने न केवल आर्थिक रूप से सशक्त होने का उदाहरण पेश किया है, बल्कि ग्रामीण समाज में भी प्रेरणा का स्रोत बनी हैं।

Point of View

बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है।
NationPress
18/09/2025

Frequently Asked Questions

मानीबेन ने कितने दूध का संग्रहण किया?
मानीबेन ने 1 करोड़ 94 लाख रुपए का दूध संग्रहित किया।
उनका इस वर्ष का लक्ष्य क्या है?
उनका लक्ष्य 3 करोड़ रुपए का दूध बेचना है।
मानीबेन के पास कितनी गाय और भैंसें हैं?
मानीबेन के पास अब 230 से अधिक गाय और भैंसें हैं।
बनास डेयरी में महिलाओं का योगदान क्या है?
बनास डेयरी में महिलाओं का योगदान महत्वपूर्ण है, जो आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं।
गुजरात में महिलाओं द्वारा संचालित सहकारी समितियों की संख्या कितनी है?
गुजरात में लगभग 4,150 सहकारी समितियां पूरी तरह से महिलाओं द्वारा संचालित हैं।