क्या बंगाल में 'बाबरी मस्जिद' की घोषणा पर अयोध्या के संतों ने आपत्ति जताई?
सारांश
Key Takeaways
- टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर की घोषणा पर संतों की आपत्ति।
- जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने एक करोड़ का इनाम घोषित किया।
- बाबरी मस्जिद का मुद्दा फिर से गरमाया।
- राजनीतिक बयानबाजी और धार्मिक भावनाएं टकराई।
- साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की आवश्यकता।
अयोध्या, २२ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अयोध्या में २५ नवंबर को राम मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण से पूर्व टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर द्वारा की गई 'बाबरी मस्जिद' की घोषणा पर साधु-संतों ने कड़ी आपत्ति व्यक्त की है। जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने इस मामले में हुमायूं कबीर पर इनाम की घोषणा की है।
आचार्य ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "जो कोई टीएमसी विधायक की गर्दन काटकर लाएगा, उसे एक करोड़ रुपए का इनाम दिया जाएगा।" उन्होंने यह भी कहा कि अगर कहीं भी मुग़ल आक्रांताओं के नाम पर कोई ईंट रखी गई तो उस व्यक्ति को जिंदा नहीं छोड़ा जाएगा। इसे धमकी या सुझाव कुछ भी माना जा सकता है।
उन्होंने कहा, "जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विवाद समाप्त हो गया, तो फिर किसकी औकात है कि वे कोर्ट के खिलाफ जाएं। यदि बाबर के नाम पर कोई दुस्साहस करेगा, उसकी मौत निश्चित होगी।"
साधु-संतों ने टीएमसी विधायक के बयान को 'राष्ट्रद्रोह' करार दिया और आरोप लगाया कि जब २५ नवंबर को राम मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण होना है, तब ममता बनर्जी ने षड्यंत्रपूर्वक विधायक से यह बयान दिलवाया है। आचार्य ने कहा, "यदि पश्चिम बंगाल में भी ईंट रखी गई तो ममता बनर्जी इसके परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें।"
राम जन्मभूमि न्यास के सदस्य और पूर्व सांसद राम विलास वेदांती ने कहा, "कोई भी ताकत अब भारत में दूसरी बाबरी मस्जिद नहीं बना सकती। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सांप्रदायिक सद्भाव, राष्ट्रीय एकता और शांति के लिए दिए गए नारे के तहत हमने सभी वर्गों को एक साथ लाने का संकल्प लिया है।