क्या धर्म विशेष से जुड़ा अभियान तुष्टिकरण की राजनीति का उदाहरण है? : रोहन गुप्ता

सारांश
Key Takeaways
- भारत में धार्मिक मुद्दों का राजनीतिक उपयोग
- तुष्टिकरण की राजनीति का प्रभाव
- सामाजिक सौहार्द की आवश्यकता
- नवाचार और आर्थिक प्रगति
- स्थानीय और राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
अहमदाबाद, 26 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद ‘आई लव मोहम्मद’ के बैनर और नारों के कारण तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई। थाना कोतवाली क्षेत्र के बिहारीपुर पुलिस चौकी के पास स्थित मस्जिद के बाहर सैकड़ों नमाजियों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया, जिससे इलाके में हलचल मच गई। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कार्रवाई की और अतिरिक्त बल तैनात किया गया।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह उनकी धार्मिक भावनाओं का प्रदर्शन है, जबकि कुछ स्थानीय लोगों ने इसे उकसावे की कार्रवाई बताया। इस घटना पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज हो गईं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता रोहन गुप्ता ने इसे तुष्टिकरण की राजनीति का उदाहरण करार दिया। उन्होंने कहा, "यह तुष्टिकरण की राजनीति का नमूना है, जो देश में चिंगारी भड़काने का काम करती है। देश में 'आई लव मोहम्मद' और 'आई लव महादेव' दोनों के चाहने वाले हैं। ऐसी राजनीति से विपक्ष को बचना होगा, जो समाज को बांटने का काम करती है।"
रोहन गुप्ता ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह धार्मिक मुद्दों का उपयोग अपने राजनीतिक लाभ के लिए करता है, जिससे सामाजिक सौहार्द को खतरा पैदा होता है।
वहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) और राजद को लेकर उन्होंने कहा कि इनका ये रिश्ता क्या कहलाता है? ये लोग तुष्टिकरण और धर्म के नाम पर राजनीति करते हैं। कभी विचारधारा, संविधान या मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की बात करते हैं, लेकिन जब वास्तविक मुद्दों की बात आती है, तब उनकी विचारधारा साथ नहीं देती।
इस बीच, ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) 2025 में भारत के 38वें स्थान पर पहुंचने की खबर ने भी चर्चा बटोरी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए रोहन गुप्ता ने कहा, "यह भारत की 140 करोड़ जनता की सफलता है। 2015 में भारत 81वें स्थान पर था, और आज 38वें स्थान पर पहुंचकर दक्षिण और मध्य एशिया में शीर्ष पर है। यह उन लोगों के लिए करारा जवाब है, जो देश की प्रगति पर सवाल उठाते हैं।"
उन्होंने इसे भारत के नवाचार और आर्थिक प्रगति का ठोस सबूत बताया।