क्या बेंगलुरु पुलिस स्टेशन पर हमले के मामले में तीन आरोपियों को सात साल की सजा मिली?

सारांश
Key Takeaways
- सात साल का कठोर कारावास
- जुर्माना लगाया गया
- हिंसक हमले का मामला
- सामाजिक सुरक्षा पर प्रभाव
- एनआईए की भूमिका
नई दिल्ली, २४ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने २०२० के बेंगलुरु दंगों में शामिल तीन आरोपियों को दोषी ठहराया है। केजी हल्ली पुलिस स्टेशन पर हुए हिंसक हमले के मामले में इन आरोपियों को अदालत ने सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई।
अदालत ने सैयद इकरामुद्दीन, सैयद आसिफ और मोहम्मद आतिफ नाम के आरोपियों पर जुर्माना भी लगाया है।
इनके खिलाफ फरवरी २०२१ में आरोप-पत्र दाखिल किया गया था और जून २०२५ में तीनों ने आईपीसी, यूए(पी) अधिनियम और संपत्ति विनाश एवं क्षति निवारण अधिनियम, १९८१ की विभिन्न धाराओं के तहत अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों में दोष स्वीकार कर लिया था।
१२ अगस्त २०२० को लगभग ६००-८०० प्रदर्शनकारियों की एक सशस्त्र भीड़ ने केजी हल्ली पुलिस स्टेशन का गेट तोड़ने की कोशिश की और एक फेसबुक पोस्ट पर कुछ अश्लील टिप्पणी करने वाले एक व्यक्ति को सजा देने से रोकने पर पुलिसकर्मियों को जान से मारने की धमकी दी।
हमले के दौरान एसडीपीआई के तीनों समर्थकों ने समाज में आतंक और दहशत फैलाने के लिए जिला नेताओं के साथ मिलकर रची गई साजिश के तहत पुलिस स्टेशन के बाहर वाहनों में आग लगा दी। सितंबर २०२० में स्थानीय पुलिस से मामले को अपने हाथ में लेने वाली एनआईए की जांच के अनुसार, तीनों ने अन्य लोगों को भी हिंसक हमले में शामिल होने के लिए उकसाया।
एनआईए को मामले की जांच के दौरान ऐसे साक्ष्य मिले, जिनसे पता चला कि आरोपियों ने ज्वलनशील पदार्थ और पेट्रोल का उपयोग करके आतंकवादी कृत्य किया और लगभग १४ लाख रुपए की सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।