क्या भारत ने डिजिटल असमानता से डिजिटल विश्वगुरु बनने की यात्रा में सफलता पाई?

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क्या भारत ने डिजिटल असमानता से डिजिटल विश्वगुरु बनने की यात्रा में सफलता पाई?

सारांश

भारत ने पिछले एक दशक में डिजिटल इंडिया अभियान के माध्यम से डिजिटल असमानता से उबरते हुए, तकनीकी विकास में अभूतपूर्व प्रगति की है। यह यात्रा अब देश को विश्व की डिजिटल राजधानी के रूप में स्थापित कर रही है। जानिए इस परिवर्तनकारी यात्रा के महत्वपूर्ण चरण और उपलब्धियाँ।

Key Takeaways

  • डिजिटल असमानता से डिजिटल विश्वगुरु बनने की यात्रा
  • 95% गांवों में इंटरनेट की पहुंच
  • यूपीआई के माध्यम से 25.14 लाख करोड़ रुपये का लेन-देन
  • डिजिटल अर्थव्यवस्था में योगदान 11.74%
  • 2.18 लाख ग्राम पंचायतों में हाई-स्पीड इंटरनेट

नई दिल्ली, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। एक दशक पहले तक जिस देश को डिजिटल असमानता और सीमित तकनीकी पहुंच के लिए जाना जाता था, भारत ने पिछले 10 वर्षों में डिजिटल इंडिया अभियान के माध्यम से खुद को दुनिया की डिजिटल राजधानी के रूप में स्थापित कर लिया है। 1 जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आरंभ की गई इस महत्वाकांक्षी योजना ने आज देश के करोड़ों नागरिकों को न केवल तकनीक से जोड़ा है, बल्कि शासन, अर्थव्यवस्था, और समाज में पारदर्शिता और जवाबदेही की नई परिभाषा भी प्रस्तुत की है।

डिजिटल इंडिया अभियान के अंतर्गत आज 95 प्रतिशत से अधिक गांवों में इंटरनेट पहुंच चुका है। 2014 में जहां ग्रामीण टेलीफोन कनेक्शन 37.77 करोड़ थे, वहीं 2025 तक यह आंकड़ा बढ़कर 53.66 करोड़ होने का अनुमान है। इसके साथ ही, इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 2014 में 25 करोड़ से बढ़कर 2025 में 97 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। यानी 288 प्रतिशत की वृद्धि।

भारत अब अमेरिका और चीन के बाद तीसरी सबसे बड़ी डिजिटल अर्थव्यवस्था बन गया है, जिससे यूके, जर्मनी और दक्षिण कोरिया जैसे विकसित देश भी पीछे छूट गए हैं। 2022-23 में डिजिटल अर्थव्यवस्था का राष्ट्रीय आय में योगदान 11.74 प्रतिशत था, जो 2024-25 तक 13.42 प्रतिशत और 2029-30 तक 20 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है।

भारत की अपनी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) अब यूएई, सिंगापुर, फ्रांस, भूटान, नेपाल, श्रीलंका और मॉरीशस जैसे देशों में उपयोग हो रही है। 2025 के मई महीने में यूपीआई के माध्यम से 25.14 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड लेन-देन हुआ, जो एक मौन क्रांति की गवाही देता है। बिल गेट्स ने भारत की यूपीआई और आधार व्यवस्था को डिजिटल गवर्नेंस का स्वर्ण मानक बताया है।

इसके साथ ही, डीबीटी के जरिए अब तक 44 लाख करोड़ रुपये सीधे लाभार्थियों तक पहुंच चुके हैं। इस व्यवस्था से सरकार को 3.48 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है, जिसमें से अकेले 1.85 लाख करोड़ की बचत खाद्य सब्सिडी से हुई है। इसके जरिए 5.87 करोड़ फर्जी राशन कार्ड और 4.23 करोड़ फर्जी एलपीजी कनेक्शन रद्द किए गए हैं।

भारतनेट योजना के जरिए 2.18 लाख ग्राम पंचायतों तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंच चुका है। पीएमजी दिशा के अंतर्गत 4.78 करोड़ ग्रामीणों को डिजिटल साक्षरता प्रदान की गई है। दिलचस्प बात यह है कि 45 प्रतिशत स्टार्टअप टियर-2 और टियर-3 शहरों से आ रहे हैं, जिससे भारत का ग्रामीण क्षेत्र डिजिटल नवाचार का नया केंद्र बन गया है।

देश के 709 जिलों में 4,671 ई-सेवाएं अब ऑनलाइन उपलब्ध हैं। वहीं, उमंग ऐप पर 1,668 से अधिक सेवाएं और 20,197 से ज्यादा बिल भुगतान विकल्प मौजूद हैं। डिजी लॉकर के 51.6 करोड़ उपयोगकर्ता अब दस्तावेजों तक तुरंत पहुंच पा रहे हैं। भाषीणी परियोजना 35 भाषाओं में 1,600 से अधिक एआई मॉडल्स के साथ देश की भाषाई विविधता को जोड़ रही है।

ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स अब 616 शहरों में 7.64 लाख से अधिक विक्रेता और सेवा प्रदाता जोड़ चुका है। जीईएम प्लेटफॉर्म पर 1.6 लाख से अधिक सरकारी खरीदार और 22.5 लाख विक्रेता सक्रिय हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत को अब यूपीआई और आधार जैसी तकनीकों का वैश्विक निर्यात बढ़ाना चाहिए। डिजिटल टेक्नोलॉजी पर आधारित रोजगार के नए अवसर उत्पन्न करने चाहिए। डिजिटल मुद्रा को वैश्विक मानक बनाने की दिशा में कदम उठाने चाहिए, साथ ही भ्रष्टाचार-निरोधी वैश्विक सिस्टम में भारत की तकनीकों को शामिल करना चाहिए।

नोट: इस लेख को प्रो हिमानी सूद (प्रो-चांसलर(चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी), संस्थापक-इंडियन माइनॉरिटी फेडरेशन) ने लिखा है। इसमें दी गई जानकारी उनके द्वारा एकत्रित की गई है।

Point of View

बल्कि इसने शासन और समाज में भी महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं। यह एक गर्व का विषय है कि भारत अब डिजिटल अर्थव्यवस्था में वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख स्थान रखता है।
NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

डिजिटल इंडिया अभियान कब शुरू हुआ?
डिजिटल इंडिया अभियान 1 जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया था।
भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था का योगदान क्या है?
2022-23 में डिजिटल अर्थव्यवस्था का राष्ट्रीय आय में योगदान 11.74 प्रतिशत था, जो आने वाले वर्षों में बढ़ने की उम्मीद है।
यूपीआई किस प्रकार की तकनीक है?
यूपीआई, या यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस, एक डिजिटल भुगतान प्रणाली है जो भारत में ऑनलाइन लेन-देन को सरल और सुरक्षित बनाती है।