क्या इस वर्ष मई में भारत के कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए महंगाई में कमी आई?

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क्या इस वर्ष मई में भारत के कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए महंगाई में कमी आई?

सारांश

भारत के कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए मई में महंगाई की दर में उल्लेखनीय कमी आई है। यह आंकड़ा 7 प्रतिशत से घटकर 2.84 प्रतिशत तक पहुंचा है, जो श्रमिकों के लिए राहत का कारण बना है। खाद्य मुद्रास्फीति भी 0.99 प्रतिशत पर आ गई है। जानिए इससे श्रमिकों पर क्या असर पड़ेगा।

Key Takeaways

  • कृषि श्रमिकों के लिए महंगाई दर 2.84 प्रतिशत पर आ गई है।
  • खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 0.99 प्रतिशत हो गई है।
  • महंगाई में कमी से श्रमिकों को आर्थिक राहत मिलेगी।
  • कृषि उत्पादन में वृद्धि के कारण मुद्रास्फीति में कमी आई है।
  • आरबीआई ने मुद्रास्फीति पूर्वानुमान घटाकर 3.7 प्रतिशत कर दिया है।

नई दिल्ली, 21 जून (राष्ट्र प्रेस)। श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, कृषि श्रमिकों (सीपीआई-एएल) और ग्रामीण श्रमिकों (सीपीआई-आरएल) के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति दर इस वर्ष मई में क्रमशः 2.84 प्रतिशत और 2.97 प्रतिशत पर आ गई, जबकि पिछले वर्ष इसी महीने में यह क्रमशः 7 प्रतिशत और 7.02 प्रतिशत थी।

मासिक आधार पर भी मुद्रास्फीति दर में कमी देखी गई है। अप्रैल में सीपीआई-एएल के लिए मुद्रास्फीति दर 3.48 प्रतिशत और सीपीआई-आरएल के लिए 3.53 प्रतिशत थी।

पिछले सात महीनों में कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए मुद्रास्फीति दर में निरंतर गिरावट आई है, जो उन कमजोर वर्गों के लिए राहत है, जो बढ़ती कीमतों से सर्वाधिक प्रभावित हैं। इससे उनके पास अधिक पैसे बचते हैं, जिससे वे और अधिक सामान खरीद सकते हैं और उनकी जीवनशैली में सुधार होता है।

कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए मुद्रास्फीति में यह कमी देश की समग्र उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति में पिछले वर्ष मई के मुकाबले इस वर्ष मई में 2.82 प्रतिशत की कमी के परिणामस्वरूप हुई है।

सांख्यिकी मंत्रालय के अनुसार, यह फरवरी 2019 के बाद से खुदरा मुद्रास्फीति का सबसे निचला स्तर है।

मई के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 0.99 प्रतिशत रह गई, जो अक्टूबर 2021 के बाद सबसे कम है। यह सातवें महीने में खाद्य मुद्रास्फीति में कमी है, जो कृषि उत्पादन में वृद्धि के कारण है।

महीने के दौरान मुद्रास्फीति में तेज गिरावट मुख्यतः दालों, सब्जियों, फलों, अनाज, घरेलू सामान और सेवाओं, चीनी और अंडों की मुद्रास्फीति में गिरावट के कारण हुई है।

कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमी आने के साथ-साथ ईंधन की कीमतों में सुधार के कारण भी इस महीने मुद्रास्फीति में कमी आई है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इस महीने की शुरुआत में मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में कहा कि आरबीआई ने 2025-26 के लिए अपने मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान को 4 प्रतिशत से घटाकर 3.7 प्रतिशत कर दिया है।

वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति का अनुमान अब 3.7 प्रतिशत है, जिसमें महंगाई पहली तिमाही में 2.9 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 3.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 3.9 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।

Point of View

यह कहना उचित है कि कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए महंगाई में कमी, उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह वित्तीय राहत उन परिवारों के लिए आवश्यक है जो बढ़ती कीमतों से संघर्ष कर रहे हैं। सरकार की नीतियों का प्रभाव इस दिशा में सकारात्मक दिख रहा है।
NationPress
21/06/2025

Frequently Asked Questions

कृषि श्रमिकों के लिए महंगाई में कमी का क्या अर्थ है?
कृषि श्रमिकों के लिए महंगाई में कमी का अर्थ है कि उनके पास अधिक क्रय शक्ति होगी, जिससे वे बेहतर जीवन जी सकेंगे।
क्या इस वर्ष खाद्य मुद्रास्फीति में भी कमी आई है?
हाँ, मई में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 0.99 प्रतिशत पर आ गई है, जो कि एक सकारात्मक संकेत है।
सरकार के इस कदम से क्या लाभ होगा?
सरकार के इस कदम से श्रमिकों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, जिससे उनके जीवन स्तर में वृद्धि होगी।