क्या एचएएल और रूस की यूएसी के बीच हुए समझौते से भारत में बनेगा एसजे-100 यात्री विमान?
सारांश
Key Takeaways
- एचएएल और यूएसी के बीच समझौता भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा।
- एसजे-100 विमान क्षेत्रीय हवाई संपर्क में सुधार करेगा।
- इस परियोजना से रोजगार के हजारों अवसर सृजित होंगे।
- भारत वैश्विक विमानन उद्योग में एक नई पहचान बनाएगा।
- यह समझौता भारत और रूस के बीच तकनीकी साझेदारी को मजबूत करेगा।
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में भारत ने आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और रूस की पब्लिक ज्वाइन्ट स्टॉक कंपनी यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन ने एसजे-100 नागरिक विमान के उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता किया है। दोनों कंपनियों ने इस ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
यह ध्यान देने योग्य है कि एचएएल भारत की प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी है। एचएएल भारतीय वायुसेना के लिए आधुनिक लड़ाकू विमानों का निर्माण कर रहा है। एचएएल के अनुसार, यह समझौता 27 अक्टूबर को रूस की राजधानी मॉस्को में संपन्न हुआ। इस अवसर पर एचएएल के प्रभात रंजन और यूएसी के ओलेग बोगोमोलोव ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर एचएएल के सीएमडी डॉ. डीके. सुनील और यूएसी के डायरेक्टर जनरल भी उपस्थित थे।
एसजे-100, भारत के लिए गेम-चेंजर विमान साबित होने की संभावना है। यह एक ट्विन-इंजन और नैरो-बॉडी कम्यूटर एयरक्राफ्ट है, जिसका उपयोग क्षेत्रीय और शॉर्ट-हॉल यात्राओं के लिए किया जाता है। अब तक दुनिया भर में 200 से अधिक विमान निर्मित किए जा चुके हैं, जो 16 से अधिक वाणिज्यिक एयरलाइंस द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। यह विमान भारत की उड़ान योजना के तहत क्षेत्रीय हवाई संपर्क को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस समझौते के तहत, एचएएल को भारत में घरेलू ग्राहकों के लिए एसजे-100 विमान का निर्माण करने का विशेष अधिकार प्राप्त होगा। इस प्रकार, भारतीय विमानन इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ रहा है।
एचएएल का मानना है कि यह समझौता भारत और रूस के बीच दशकों से चली आ रही विश्वास और तकनीकी साझेदारी का प्रमाण है। यह पहली बार होगा जब भारत में एक संपूर्ण यात्री विमान का निर्माण किया जाएगा। इससे पहले, एचएएल द्वारा निर्मित एव्रो एचएस-748 विमान का उत्पादन 1961 से 1988 तक हुआ था। अगले 10 वर्षों में भारत को 200 से अधिक ऐसे विमानों की आवश्यकता होगी, जो क्षेत्रीय संपर्क को मजबूती प्रदान करेंगे।
भारतीय महासागर क्षेत्र में स्थित पर्यटन स्थलों के लिए 350 अतिरिक्त विमानों की मांग का अनुमान है। इस प्रकार, एसजे-100 परियोजना भारत की वाणिज्यिक विमानन जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ निर्यात क्षमता भी विकसित करेगी। भारत में एसजे-100 विमान का निर्माण, नागरिक उड्डयन क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न केवल भारत की तकनीकी क्षमता और औद्योगिक दक्षता को प्रदर्शित करेगा, बल्कि निजी क्षेत्र को भी सशक्त बनाएगा।
इस परियोजना से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों रोजगार अवसर सृजित होंगे और भारत वैश्विक विमानन उद्योग में एक नई पहचान बनाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि एचएएल और यूएसी का यह सहयोग भारत के विमानन इतिहास में नया स्वर्णिम अध्याय जोड़ने जा रहा है। यह समझौता भारत को डिजाइन से लेकर उत्पादन तक पूर्ण क्षमता वाले नागरिक विमान निर्माता देशों की सूची में लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह देश की तकनीकी प्रगति, औद्योगिक आत्मनिर्भरता और वैश्विक साझेदारी का प्रतीक बनेगा।