क्या भारतीय नौसेना को स्वदेशी युद्धपोत ‘उदयगिरि’ की सौगात मिली?

सारांश
Key Takeaways
- स्वदेशी तकनीक से निर्मित युद्धपोत ‘उदयगिरि’
- आधुनिक हथियार और सेंसर प्रणाली
- 4,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार
- आत्मनिर्भर भारत की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
- नौसेना की शक्ति में वृद्धि
नई दिल्ली, 1 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय नौसेना को एक और महत्वपूर्ण ताकत प्राप्त हुई है। यह ताकत, प्रोजेक्ट 17ए के अंतर्गत निर्मित स्वदेशी स्टील्थ फ्रिगेट युद्धपोत ‘उदयगिरि’ (यार्ड 12652) है। मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) ने 1 जुलाई को ‘उदयगिरि’ को आधिकारिक रूप से भारतीय नौसेना को सौंपा।
यह युद्धपोत ‘शिवालिक’ श्रेणी के युद्धपोतों की अगली पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करता है और प्रोजेक्ट 17ए के तहत निर्मित सात युद्धपोतों में से दूसरा है। भारतीय नौसेना ने बताया कि ‘उदयगिरि’ का नाम पूर्ववर्ती आईएनएस उदयगिरि के सम्मान में रखा गया है, जिसने 31 वर्षों तक देश की सेवा की। वह समुद्री जहाज 24 अगस्त 2007 को सेवामुक्त हुआ था।
नया ‘उदयगिरि’ भव्य हथियारों, सेंसरों और स्टील्थ तकनीकों से लैस है। इसे महज 37 महीनों में लॉन्चिंग के बाद नौसेना को सौंपा गया, जो कि एक कीर्तिमान है। इसकी प्रमुख विशेषताओं में उन्नत स्टील्थ डिजाइन और ‘ब्लू वॉटर ऑपरेशंस’ के लिए पूर्ण क्षमताएं शामिल हैं। यह डीजल इंजन और गैस टरबाइन के संयोजन से सुसज्जित है। इसमें अत्याधुनिक हथियार प्रणाली शामिल है, जिसमें सुपरसोनिक सतह से सतह मिसाइलें शामिल हैं।
इसमें मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, 76 मिमी मुख्य तोप और 30 मिमी व 12.7 मिमी की रैपिड फायर गन भी शामिल हैं। भारतीय नौसेना इसे आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानती है। यह युद्धपोत पूरी तरह से स्वदेशी डिजाइन और भारतीय मूल के उपकरणों के साथ निर्मित किया गया है, जिससे देश की रक्षा उत्पादन क्षमता में वृद्धि हुई है।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस परियोजना ने रोजगार और एमएसएमई को बढ़ावा दिया है। इसके चलते लगभग 4,000 लोगों को प्रत्यक्ष और 10,000 से अधिक को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है। साथ ही, 200 से अधिक एमएसएमई इकाइयाँ भी लाभान्वित हुई हैं, जिससे देश की आर्थिक प्रगति और आत्मनिर्भरता को नई गति मिली है। प्रोजेक्ट 17ए के तहत बाकी पांच युद्धपोतों का निर्माण एमडीएल, मुंबई और गॉर्डन रीच शिपबिल्डर्स, कोलकाता में किया जा रहा है, जिनकी डिलीवरी 2026 के अंत तक होगी। भारतीय नौसेना का मानना है कि ‘उदयगिरि’ का आगमन भारतीय समुद्री शक्ति को और मजबूती देगा और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।