क्या भूपेश बघेल का भाजपा पर तंज सही है? जीएसटी के फायदे गिनाने के बावजूद बाजार में सन्नाटा?

सारांश
Key Takeaways
- भूपेश बघेल ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
- जीएसटी के लाभों के बावजूद बाजार की स्थिति चिंताजनक है।
- राजनीतिक संवाद में पारदर्शिता की आवश्यकता है।
- नक्सलियों के आत्मसमर्पण पर भाजपा के दावों की समीक्षा होनी चाहिए।
- किसानों की समस्याओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
रायपुर, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा जीएसटी की दरों में कमी के लाभों का गुणगान कर रही है, जबकि बाजार में सन्नाटा छाया हुआ है। जनता भाजपा की बातों को सुनने के लिए तैयार नहीं है।
उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भाजपा के बयानों का उत्तर देते हुए कहा कि भाजपा का असली चेहरा उजागर हो चुका है। भाजपा हिंसा में विश्वास रखती है और राहुल गांधी का सामना नहीं कर पा रही, इसलिए इस तरह के बेतुके बयान दे रही है। उनका बयान बेहद चिंताजनक है। सबसे अहम यह है कि अब तक पार्टी ने कोई कार्रवाई नहीं की है, इसकी समीक्षा सुरक्षा एजेंसियों को करनी चाहिए।
गृह मंत्री अमित शाह द्वारा नक्सलियों के आत्मसमर्पण पर रेड कारपेट बिछाने के बयान पर बघेल ने कहा कि अब तक कितने नक्सलियों के लिए ऐसा किया गया है? ऐसा तो अब तक नहीं हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "भाजपा-एनडीए सरकारों ने देश को सुशासन का नया मॉडल दिया है।" इस पर बघेल ने कहा कि लोग इस सुशासन मॉडल को देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि वोट चुराकर बनी सरकार में नैतिक साहस की कमी है और जनता की परवाह नहीं है। जंगलों की अंधाधुंध कटाई हो रही है और किसान यूरिया की कमी से जूझ रहे हैं।
बघेल ने लद्दाख में सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर कहा कि वहां पिछले पांच वर्षों से आंदोलन चल रहा है। सरकार ने उनसे बातचीत क्यों नहीं की? भाजपा ने पूर्ण राज्य का दर्जा देने का वादा किया था, लेकिन वह भी पूरा नहीं किया गया।