क्या बिहार चुनाव में सुपौल के पिपरा विधानसभा में जदयू-राजद की राह आसान होगी?

Click to start listening
क्या बिहार चुनाव में सुपौल के पिपरा विधानसभा में जदयू-राजद की राह आसान होगी?

सारांश

बिहार की सुपौल जिले की पिपरा विधानसभा में आगामी चुनाव में जदयू को राजद से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। यह क्षेत्र न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहां के सामाजिक-आर्थिक मुद्दे भी चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं।

Key Takeaways

  • पिपरा विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में जदयू और राजद की प्रतिस्पर्धा महत्वपूर्ण है।
  • कोसी नदी के कारण बाढ़ का खतरा हमेशा बना रहता है।
  • बुनियादी सुविधाओं की कमी से स्थानीय निवासियों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
  • 2024 के चुनाव में यहां के मतदाता निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
  • पिपरा की कृषि में धान, मक्का और जूट जैसे फसलें प्रमुख हैं।

पटना, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के सुपौल जिले का पिपरा विधानसभा क्षेत्र राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस सीट की महत्त्वता इस तथ्य से स्पष्ट है कि यहां जदयू की मजबूत स्थिति के बावजूद विपक्ष का भी प्रभाव बना रहता है।

बिहार में 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई। 2010 में इस सीट पर पहली बार विधानसभा चुनाव हुए और उस समय जदयू की सुजाता देवी ने 14,686 वोटों से जीत हासिल की। हालांकि, 2015 के चुनाव में यह सीट जदयू के हाथों से निकल गई और राजद के यदुवंश कुमार यादव ने भाजपा के विश्व मोहन कुमार को 36,369 वोटों से हराया। 2020 में फिर से यहां परिवर्तन हुआ और जदयू ने जीत दर्ज की।

पिपरा की राजनीति में एक विशेष पहलू यह है कि कोई भी पार्टी लगातार तीन चुनावों में एक ही उम्मीदवार को टिकट नहीं दे पाई है। पिछले तीन चुनावों में पार्टी के साथ-साथ जीतने वाला उम्मीदवार भी अलग ही रहा है। 2020 विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव 2024 में यहां जीतने वाली पार्टी का दबदबा रहेगा।

पिपरा विधानसभा क्षेत्र कोसी नदी के तट पर स्थित है, जिसके कारण यहां हर साल बाढ़ का खतरा बना रहता है। कोसी नदी इस क्षेत्र के लिए वरदान और अभिशाप दोनों है। यह नदी जहां कृषि के लिए उपजाऊ भूमि प्रदान करती है, वहीं बाढ़ के रूप में तबाही भी लाती है। इसके बावजूद, यहां धान, मक्का और जूट जैसी फसलों की बड़े पैमाने पर खेती होती है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था का आधार है। हालांकि, क्षेत्र की भौगोलिक-आर्थिक स्थिति और बुनियादी ढांचे की चुनौतियां इसे विकास में पीछे रखती हैं।

सड़क, बिजली और स्वच्छ पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी भी यहां के निवासियों के लिए बड़ी समस्या है। कृषि-आधारित उद्योगों की कमी और स्थानीय स्तर पर रोजगार के सीमित अवसरों के कारण युवाओं का पलायन एक गंभीर मुद्दा बन गया है।

सुपौल जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी दक्षिण में स्थित पिपरा के आस-पास के प्रमुख क्षेत्रों में मधेपुरा (40 किमी), सहरसा (50 किमी), बनमंखी (60 किमी), और पूर्णिया (70 किमी) शामिल हैं।

चुनाव आयोग के अनुसार, 2020 के विधानसभा चुनाव में पिपरा में 2,89,160 रजिस्टर्ड मतदाता थे, जिनमें 16.70 प्रतिशत मुस्लिम और 14.65 प्रतिशत अनुसूचित जाति के मतदाता शामिल थे। इसके अलावा, यादव मतदाता भी क्षेत्र में बड़ी संख्या में हैं, जो चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

पिपरा में जदयू की मजबूत पकड़ के बावजूद आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में राजद-नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन से उन्हें कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है।

Point of View

बल्कि यह क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का भी सामना करती है। इसमें विकास, बुनियादी सुविधाएं, और स्थानीय मुद्दे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
NationPress
02/10/2025

Frequently Asked Questions

पिपरा विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास क्या है?
पिपरा विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास जदयू और राजद के बीच प्रतिस्पर्धा से भरा हुआ है। 2010 में जदयू ने पहली बार जीत हासिल की, लेकिन 2015 में राजद ने इसे अपने नाम किया।
क्या पिपरा में कृषि की स्थिति अच्छी है?
पिपरा में कृषि की स्थिति अच्छी है, लेकिन हर साल बाढ़ के कारण नुकसान होता है। यहां धान, मक्का और जूट जैसी फसलों की खेती होती है।
पिपरा विधानसभा क्षेत्र में मतदाता संख्या कितनी है?
2020 के विधानसभा चुनाव में पिपरा में 2,89,160 रजिस्टर्ड मतदाता थे।
क्या बुनियादी सुविधाएं पिपरा में उपलब्ध हैं?
पिपरा में सड़क, बिजली और स्वच्छ पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी है, जो निवासियों के लिए बड़ी समस्या है।
पिपरा विधानसभा क्षेत्र में युवाओं के पलायन का क्या कारण है?
पिपरा में कृषि-आधारित उद्योगों की कमी और रोजगार के सीमित अवसरों के कारण युवाओं का पलायन एक गंभीर मुद्दा है।