क्या बिहार में 23 लाख महिलाओं के वोट काटे गए हैं, जिससे संविधान और लोकतंत्र पर हमला हुआ है?

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क्या बिहार में 23 लाख महिलाओं के वोट काटे गए हैं, जिससे संविधान और लोकतंत्र पर हमला हुआ है?

सारांश

अलका लांबा ने प्रेस वार्ता में केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार में 23 लाख महिलाओं के वोट काटे गए हैं। यह एक गंभीर मुद्दा है, जो संविधान और लोकतंत्र के प्रति सीधा हमला है। क्या यह मात्र एक संयोग है या इसके पीछे कोई बड़ी साजिश है?

Key Takeaways

  • महिलाओं के मताधिकार का हनन गंभीर मुद्दा है।
  • कांग्रेस का हस्ताक्षर अभियान चल रहा है।
  • दुर्व्यवहार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता है।
  • चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं।
  • बिहार की जनता बदलाव के लिए तैयार है।

नई दिल्ली, 5 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लांबा ने रविवार को नई दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन में एक प्रेस वार्ता में महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए, जिसमें कहा गया कि बिहार में 22.7 लाख यानी लगभग 23 लाख महिलाओं के वोट काट दिए गए हैं, जिससे उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में मतदान का अधिकार नहीं मिल रहा है।

अलका लांबा ने कहा कि तीन प्रमुख मीडिया रिपोर्टों से पता चला है कि स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) के नाम पर मतदाता सूची में धांधली की गई है। यह सब केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के इशारों पर हुआ है, और मुख्य चुनाव आयुक्त ने संविधान की शपथ का उल्लंघन किया है।

उन्होंने यह भी बताया कि बिहार के केवल छह जिलों में बड़े पैमाने पर महिलाओं के नाम मतदान सूची से हटा दिए गए हैं। इनमें प्रमुखतः गोपालगंज (1.5 लाख वोट), सारण (2.24 लाख), बेगूसराय (1.15 लाख), समस्तीपुर (2.18 लाख), भोजपुर (1.41 लाख) और पूर्णिया (1.90 लाख) शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन छह जिलों में करीब 60 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें 2020 के चुनाव में इंडिया गठबंधन ने 25 सीटें और एनडीए ने 34 सीटें जीती थीं। अब इन्हीं सीटों पर महिलाओं के वोट काटे गए हैं। यह एक सोची-समझी साजिश है ताकि नतीजों को प्रभावित किया जा सके।

महिला कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह कदम संविधान और डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा प्रदत्त महिला मताधिकार पर सीधा हमला है। उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस ने महिलाओं को उनके मूल अधिकार से वंचित कर दिया है। यह कोई सामान्य गलती नहीं, बल्कि लोकतंत्र की हत्या है। यह रणनीति के तहत महिलाओं को लक्षित किया गया है, क्योंकि उन्होंने एनडीए को वोट न देने की बात कही थी।

अलका लांबा ने बताया कि कांग्रेस पार्टी ने 15 सितंबर से वोट चोरी के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है, जो 15 अक्टूबर तक चलेगा। उन्होंने कहा कि पार्टी का लक्ष्य 5 करोड़ मतदाताओं के हस्ताक्षर एकत्र कर चुनाव आयोग को प्रस्तुत करना है। कांग्रेस की पहली मांग है कि मशीन-रीडेबल मतदाता सूची को फोटो सहित सार्वजनिक किया जाए। दूसरी, एसआईआर प्रक्रिया को तुरंत रोका जाए। तीसरी मांग में उन अधिकारियों और एजेंटों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात कही गई है, जिन्होंने मतदाता दमन में भूमिका निभाई है। चौथी मांग के अनुसार, चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए। अंत में, कांग्रेस ने मतदाता सूची में पूर्ण पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की मांग की है, ताकि चुनावी प्रक्रिया में विश्वास बना रहे।

चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हुए लांबा ने कहा कि जिन महिलाओं ने 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदान किया था, उन्हीं के नाम अब मतदाता सूची से काट दिए गए हैं। अगर वे वोट फर्जी हैं, तो उस आधार पर बने सांसद भी फर्जी हैं। अगर लोकसभा चुनाव ठीक था, तो अब इन महिलाओं के वोट कैसे काटे गए?

प्रधानमंत्री मोदी को घेरते हुए अलका लांबा ने कहा कि चुनाव से ठीक पहले महिलाओं के खातों में 10-10 हजार रुपए डालना मदद नहीं बल्कि वोट खरीदने की कोशिश है। ये रोजगार नहीं, कर्ज है। जो महिलाएं 20 साल से संघर्ष कर रही थीं, उन्हें चुनाव से 10 दिन पहले लुभाने का प्रयास हो रहा है। जिनके वोट काट दिए गए हैं, उन्हें इस योजना का लाभ भी नहीं मिल रहा।

चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए अलका लांबा ने आगे कहा कि चुनाव आयोग निष्पक्ष संस्था नहीं रहा, बल्कि भाजपा का चुनावी औजार बन गया है। चुनाव आयोग का काम संविधान को बचाना है, लेकिन अब वही संस्था वोट चोरी का जरिया बन गई है। हम इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम लोकतंत्र और वोट के अधिकार को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। यह लड़ाई राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में और मजबूत होगी।

उन्होंने चेतावनी दी कि कांग्रेस की महिला टीमें बिहार के हर विधानसभा क्षेत्र में जाकर महिलाओं को जागरूक करेंगी और उन्हें मतदान केंद्रों तक पहुंचाने का काम करेंगी।

उन्होंने आगे कहा कि बिहार की जनता बदलाव के लिए तैयार है। डबल इंजन की सरकार बिहार में फेल हो चुकी है। अपराध, बेरोजगारी और पलायन चरम पर है। इसलिए भाजपा अब चुनाव आयोग के सहारे वोट की चोरी का खेल खेल रही है, लेकिन कांग्रेस इसे बेनकाब करेगी।

Point of View

यह स्पष्ट है कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बेहद आवश्यक है। महिलाओं के मताधिकार का हनन न केवल संविधान का उल्लंघन है, बल्कि यह हमारे लोकतंत्र की नींव को कमजोर करता है। हमें इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना होगा।
NationPress
05/10/2025

Frequently Asked Questions

क्या बिहार में महिलाओं के वोट काटे गए हैं?
हां, अलका लांबा ने दावा किया है कि बिहार में लगभग 23 लाख महिलाओं के वोट काट दिए गए हैं।
कांग्रेस ने इस मुद्दे पर क्या कदम उठाए हैं?
कांग्रेस ने 15 सितंबर से वोट चोरी के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है, जो 15 अक्टूबर तक चलेगा।
इस मुद्दे पर अलका लांबा की मुख्य मांगें क्या हैं?
उनकी मुख्य मांगें हैं: मतदाता सूची की पारदर्शिता, एसआईआर प्रक्रिया का रोकना, और वोट दमन में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई।
क्या चुनाव आयोग ने अपनी निष्पक्षता खो दी है?
अलका लांबा का आरोप है कि चुनाव आयोग अब भाजपा का चुनावी औजार बन गया है।
इस मुद्दे का बिहार चुनाव पर क्या असर होगा?
अगर महिलाएं अपने मताधिकार से वंचित रहती हैं, तो यह चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकता है।