क्या ईरान ने तीसरे देश के माध्यम से अमेरिका को कोई संदेश भेजा?
सारांश
Key Takeaways
- ईरान ने अमेरिका को कोई संदेश नहीं भेजा है।
- खामेनेई ने मीडिया की अफवाहों को खारिज किया।
- ईरान टकराव नहीं चाहता, बल्कि क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाना चाहता है।
- अमेरिका और ईरान के बीच बातचीत की आवश्यकता है।
- इजरायल के हमलों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।
तेहरान, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हाल ही में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद ने अमेरिका का दौरा किया। इस यात्रा के दौरान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। ट्रंप से मिलने से पहले क्राउन प्रिंस को ईरान की ओर से एक पत्र प्राप्त हुआ था। इस पत्र को लेकर यह चर्चा थी कि इसमें अमेरिका के लिए एक संदेश है। हालांकि, ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने इन सभी दावों को बनावटी बताया है।
न्यूज एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, खामेनेई ने गुरुवार रात टीवी पर दिए गए संदेश में मीडिया द्वारा किए गए सभी दावों को खारिज कर दिया। यह अफवाह थी कि ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने सऊदी क्राउन प्रिंस को उनके यूएस दौरे से पहले जो संदेश भेजा था, वह वॉशिंगटन के लिए था।
खामेनेई ने कहा, "वे अफवाहें फैला रहे हैं कि ईरानी सरकार ने किसी तीसरे देश के माध्यम से अमेरिका को संदेश भेजा है, जो सरासर झूठ है।"
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पेजेशकियन के पत्र में कहा गया है कि ईरान टकराव नहीं चाहता और उसका उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना है। वह कूटनीति के माध्यम से न्यूक्लियर विवाद को सुलझाने के लिए तैयार है, बशर्ते उसके अधिकारों की गारंटी हो।
खामेनेई ने अपने भाषण में इजरायल के हमलों और अपराधों में अमेरिका के समर्थन की कड़ी आलोचना की। ईरानी सुप्रीम ने अमेरिका पर अपनी रणनीति और संसाधनों के लाभ के लिए झगड़ों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
दूसरी ओर, ईरानी अधिकारियों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस को जो पत्र दिया गया, वह केवल द्विपक्षीय मुद्दों पर था।
तेहरान और वॉशिंगटन ने इस साल अप्रैल और जून के बीच ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम और अमेरिकी प्रतिबंधों पर बातचीत की थी। दोनों पक्षों के बीच ओमान की मध्यस्थता में पांच राउंड की बातचीत हुई थी। उसके बाद छठे राउंड की बातचीत की उम्मीद थी, लेकिन उससे पहले ही इजरायल ने ईरान में कई स्थानों पर अचानक हमले किए।
इन हमलों में ईरान के न्यूक्लियर वैज्ञानिक और वरिष्ठ कमांडर मारे गए। इसके बाद ईरान ने मिसाइल और ड्रोन से जवाबी कार्रवाई की।
22 जून को अमेरिकी सेना ने नतांज, फोर्डो और इस्फहान में ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया। ईरान ने अगले दिन कतर में अमेरिकी अल उदीद एयर बेस को निशाना बनाकर जवाबी कार्रवाई की। इसके बाद ईरान और इजरायल के बीच 24 जून से सीजफायर लागू हुआ।