क्या असम में बहुविवाह पर रोक लगाने वाले फैसले के पीछे चुनावी राजनीति है?
सारांश
Key Takeaways
- असम में बहुविवाह पर रोक लगाने का विधेयक पारित हुआ है।
- सुरेंद्र राजपूत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
- मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं।
- राजनीतिक मुद्दों पर ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है।
- कांग्रेस ने भाजपा को हराने का संकल्प लिया है।
लखनऊ, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने वाले विधेयक के पारित होने पर अपनी आपत्ति दर्ज की है। उनका कहना है कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते हैं, असम के मुख्यमंत्री को कई मुद्दे याद आने लगते हैं।
सुरेंद्र राजपूत ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, हेमंत बिस्वा शर्मा मानसिक संतुलन खोते जा रहे हैं। उन्हें उचित उपचार की आवश्यकता है, और यह आगरा में संभव हो सकता है। संविधान के तहत बहुविवाह पहले से ही प्रतिबंधित है, लेकिन आदिवासी समुदायों में जो चलन है, उस पर रोक नहीं लगाई जा सकती।"
उन्होंने संकेत दिया कि उत्तरी राज्य हिमाचल में बहुविवाह की प्रथा कई स्थानों पर जारी है। क्या वे इसे रोकने का प्रयास कर सकते हैं? असम के मुख्यमंत्री कब क्या बोलते हैं, यह तो उन्हें भी नहीं पता। वे केवल चुनाव के समय ही हिंदू-मुस्लिम राजनीति में सक्रिय हो जाते हैं ताकि लोगों का ध्यान मुख्य समस्याओं से हटा सकें।
सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि सभी को पता है कि हेमंत बिस्वा शर्मा पर भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं, और वह लोगों को भ्रमित करने के लिए समय-समय पर ऐसे बयान देते रहते हैं।
कांग्रेस पार्टी की रिव्यू मीटिंग में सुरेंद्र राजपूत ने कहा, "बिहार पर हमारी गहन चर्चा हुई, जिसमें सभी पहलुओं पर विचार विमर्श किया गया और सभी ने अपने विचार साझा किए हैं। इसके आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इस बार की कमियों को दोहराया न जाए। हमने बंगाल सहित पूरे देश में भाजपा को हराने का संकल्प लिया है।"
कर्नाटक में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर चल रहे विवाद पर सुरेंद्र राजपूत ने टिप्पणी की, "डीके शिवकुमार पहले भी कह चुके हैं कि हम सब मिलकर काम करेंगे और आगे भी ऐसा करते रहेंगे। हमें कोई विवाद नहीं है।"