क्या बिहार की राष्ट्रीय लोक मोर्चा को बड़ा झटका लगा?
सारांश
Key Takeaways
- नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार का कार्य प्रारंभ।
- जितेंद्र नाथ सहित कई नेताओं ने राष्ट्रीय लोक मोर्चा से इस्तीफा दिया।
- उपेंद्र कुशवाहा की कार्यशैली पर उठे सवाल।
- शेखपुरा जिला कमिटी का भंग होना असंतोष का संकेत।
- बिहार विधानसभा चुनाव में चार सीटों पर जीत हासिल की।
पटना, 26 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में संचालित एनडीए सरकार ने अपने कार्यों की शुरुआत कर दी है। इसी बीच, एनडीए में सम्मिलित उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) को बुधवार को एक बड़ा झटका लगा, जब पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जितेंद्र नाथ के अलावा कई नेताओं ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया।
इस्तीफा देने वालों में प्रदेश महासचिव सह प्रवक्ता राहुल कुमार और अन्य नेता भी शामिल हैं। सभी ने अपने त्यागपत्रों में पार्टी के सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा की कार्यशैली पर सवाल उठाए।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जितेंद्र नाथ ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजे पत्र में लिखा, "मैं आपके साथ लगभग 9 वर्षों से कार्यरत हूं, लेकिन अब कई राजनीतिक एवं संगठनात्मक निर्णयों से स्वयं को जोड़ नहीं पा रहा हूं। इस परिस्थिति में साथ काम करना संभव नहीं रह गया है। अतः मैं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और जिम्मेदारी से त्यागपत्र देना उचित समझता हूं।"
प्रदेश महासचिव राहुल कुमार ने भी अपने इस्तीफे के पत्र में नेतृत्व पर प्रश्न उठाए हैं। उन्होंने कहा कि हाल में लिए गए कई निर्णयों से वे असहज हैं, जिन्हें वे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, इस्तीफा देने वाले कई नेता विधानसभा चुनाव में उपेक्षा से भी नाराज हैं।
अगले दिन, राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष मदन चौधरी के निर्देश पर शेखपुरा जिला कमिटी को अचानक भंग कर दिया गया, जिससे स्थानीय स्तर पर असंतोष बढ़ा है।
यह उल्लेखनीय है कि बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने एनडीए के साथ चुनाव में भाग लिया था। रालोमो ने छह सीटों पर चुनाव लड़ा और चार सीटों पर जीत हासिल की।