क्या बिस्फी विधानसभा सीट पर भाजपा फिर से जीत दर्ज कर पाएगी?

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क्या बिस्फी विधानसभा सीट पर भाजपा फिर से जीत दर्ज कर पाएगी?

सारांश

बिस्फी विधानसभा सीट, जो बिहार के मधुबनी जिले में है, मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। 2020 में भाजपा ने यहां पहली बार जीत हासिल की थी। क्या भाजपा इस बार अपनी जीत को बनाए रख पाएगी? जानिए इस चुनावी घमासान के पीछे की कहानी।

Key Takeaways

  • बिस्फी विधानसभा क्षेत्र का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है।
  • भाजपा ने 2020 में यहां पहली बार जीत हासिल की।
  • कपिलेश्वर महादेव मंदिर का विशेष धार्मिक महत्व है।
  • क्षेत्र की प्रमुख फसलें धान, गेहूं और मसूर हैं।
  • बुनियादी सुविधाओं का विकास आवश्यक है।

पटना, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के मधुबनी जिले में स्थित बिस्फी विधानसभा क्षेत्र मिथिला की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यह मधुबनी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है और इसमें बिस्फी प्रखंड की 28 और रहिका प्रखंड की 12 ग्राम पंचायतें सम्मिलित हैं। चुनावी दृष्टि से बिस्फी विधानसभा सीट भाजपा के लिए खास महत्व रखती है, क्योंकि 2020 में पहली बार यहां जीत हासिल करने वाली पार्टी को अब अपनी जीत को बनाए रखने की चुनौती का सामना करना होगा।

बिस्फी क्षेत्र मिथिला की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है और यह 14वीं शताब्दी के महान मैथिली कवि विद्यापति के पैतृक गांव के रूप में ऐतिहासिक महत्व रखता है, जिन्होंने मैथिली साहित्य को समृद्ध किया। इसके अतिरिक्त, बिस्फी क्षेत्र प्राचीन विद्वानों जैसे याज्ञवल्क्य और चंद्रेश्वर ठाकुर से भी जुड़ा हुआ है, जो इसे मैथिली बौद्धिक परंपरा का एक प्रमुख केंद्र बनाते हैं।

इस क्षेत्र में स्थित सौराठ में मिथिला चित्रकला संस्थान, सौराठ सभागाछी, महाकवि विद्यापति की जन्मभूमि बिस्फी और कपिलेश्वर महादेव मंदिर जैसी सांस्कृतिक धरोहरें मौजूद हैं।

कपिलेश्वर महादेव मंदिर इस क्षेत्र की आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है। भगवान शिव का यह भव्य मंदिर कपिल मुनि के नाम पर स्थापित है। कपिल मुनि ने ‘सांख्य दर्शन’ को विश्व में प्रस्तुत किया था। एक प्रचलित कहानी के अनुसार, राजा जनक प्रतिदिन इस मंदिर में जलाभिषेक करने आते थे, जिससे इसे ‘मिथिला का बाबाधाम’ भी कहा जाता है।

भौगोलिक दृष्टि से बिस्फी बाढ़-प्रवण मिथिला क्षेत्र में स्थित है। यहां का समतल और उपजाऊ भूभाग कृषि के लिए अनुकूल है, जहाँ धान, गेहूं और मसूर मुख्य फसलें हैं। हालांकि, सीमित सिंचाई सुविधाओं के कारण किसान यहां की फसलों के लिए मानसूनी बारिश पर निर्भर हैं। क्षेत्र में सड़क, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र जैसी बुनियादी सुविधाएं भी अविकसित हैं।

बिस्फी विधानसभा सीट का गठन 1967 में हुआ था और तब से अब तक कुल 14 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इस क्षेत्र में सीपीआई ने पांच बार, कांग्रेस ने चार बार, आरजेडी और निर्दलीय उम्मीदवारों ने दो-दो बार जीत हासिल की है। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में पहली बार भाजपा ने यहां सफलता प्राप्त की, जब भाजपा उम्मीदवार हरिभूषण ठाकुर ने आरजेडी प्रत्याशी फैयाज अहमद को हराया।

Point of View

यह स्पष्ट है कि यहां की राजनीति केवल स्थानीय मुद्दों तक सीमित नहीं है। यह एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण की आवश्यकता रखती है, जिसमें विकास और सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण शामिल है।
NationPress
02/10/2025

Frequently Asked Questions

बिस्फी विधानसभा क्षेत्र का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
बिस्फी विधानसभा क्षेत्र 14वीं शताब्दी के महान मैथिली कवि विद्यापति का पैतृक गांव है और इसे मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर का केंद्र माना जाता है।
भाजपा ने बिस्फी विधानसभा सीट पर कब जीत हासिल की थी?
भाजपा ने पहली बार 2020 में बिस्फी विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी।
बिस्फी में प्रमुख फसलें कौन सी हैं?
बिस्फी में धान, गेहूं और मसूर मुख्य फसलें हैं।
कपिलेश्वर महादेव मंदिर का महत्व क्या है?
कपिलेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव का भव्य मंदिर है और इसे 'मिथिला का बाबाधाम' भी कहा जाता है।
बिस्फी विधानसभा सीट कब बनी थी?
बिस्फी विधानसभा सीट का गठन 1967 में हुआ था।