क्या कैंसर को लेकर डर नहीं होना चाहिए? जागरूकता है जरूरी: रांची समिट में बोले राज्यपाल संतोष गंगवार

सारांश
Key Takeaways
- कैंसर की लड़ाई केवल चिकित्सा से नहीं, बल्कि संवेदनशीलता से भी है।
- समूह के रूप में जागरूकता फैलाना आवश्यक है।
- राज्य सरकार आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है।
- समिट में उपचार और जागरूकता पर ध्यान दिया गया।
- सही समय पर पहचान बहुत महत्वपूर्ण है।
रांची, 12 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार ने शनिवार को 'रांची कैंसर समिट 2025' का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि कैंसर से लड़ाई केवल चिकित्सा की नहीं, बल्कि संवेदना और सामूहिक उत्तरदायित्व का भी विषय है। आशा है कि यह समिट झारखंड में कैंसर उपचार और जन-जागरूकता को नई दिशा प्रदान करेगा।
यह कार्यक्रम राजधानी रांची में कैंसर रिसर्च एंड स्टैटिस्टिक्स फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया। इस महत्वपूर्ण आयोजन का नेतृत्व वरिष्ठ ऑन्कोलॉजिस्ट सतीश शर्मा ने किया।
राज्यपाल संतोष गंगवार ने उद्घाटन भाषण में कहा, "भारतीय परंपरा में डॉक्टरों को धरती पर भगवान के समान माना जाता है। उनके पास न केवल जीवन को बचाने की क्षमता होती है, बल्कि बीमारी से लड़ने की शक्ति भी होती है।"
उन्होंने और कहा, "सेवा-भाव और समर्पण के साथ काम करते हुए डॉक्टर हर मरीज के जीवन में आशा की किरण बन सकते हैं। झारखंड में कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाना और उपचार सेवाओं को सुदृढ़ करना इस समिट का मुख्य उद्देश्य है।"
राज्यपाल ने बताया, "अगर पीड़ित परिवार को किसी भी प्रकार का सहयोग दिया जाए, तो उन्हें सांत्वना मिलती है और उनका मनोबल बढ़ता है। समाज में अभी भी यह धारणा है कि अगर किसी को कैंसर हो गया तो वह नहीं बचेगा। लेकिन हमने कई ऐसे मरीज देखे हैं जिनका इलाज सफल रहा है।"
उन्होंने कहा कि समाज में बीमारियों की संख्या बढ़ रही है, और कैंसर उनमें से एक जटिल बीमारी है। इसलिए इस तरह के समिट का आयोजन बहुत जरूरी है।
राज्यपाल ने कहा, "कैंसर केवल एक चिकित्सकीय समस्या नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक सामाजिक, मानसिक और भावनात्मक चुनौती भी है, जिसे समझदारी और संवेदनशीलता से हल करने की आवश्यकता है।"
स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने कहा, "राज्य सरकार का आदेश है कि कोई भी मरीज पैसे की कमी के कारण इलाज से वंचित नहीं होना चाहिए। हमने तय किया है कि भविष्य में स्क्रीनिंग परीक्षण किए जाएंगे और कैंसर मरीजों की पहचान की जाएगी।"
अपर मुख्य सचिव ने यह भी कहा, "अभी कैंसर मरीजों की पहचान तीसरे या चौथे स्टेज पर ही हो रही है, जिससे इलाज महंगा और मुश्किल हो जाता है। यदि पहले या दूसरे स्टेज पर ही मरीजों की पहचान की जाएगी, तो इलाज सरल हो सकेगा।"