क्या चक्रवात 'मोंथा' में ट्रांसपोंडर ने मछुआरों की जान बचाई?

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क्या चक्रवात 'मोंथा' में ट्रांसपोंडर ने मछुआरों की जान बचाई?

सारांश

चक्रवात 'मोंथा' ने मछुआरों के लिए चुनौती पेश की, लेकिन ट्रांसपोंडर तकनीक ने उन्हें समय पर चेतावनी देकर सुरक्षित तट पर लौटने में मदद की। जानिए कैसे इस उपाय ने हजारों जिंदगियों को बचाया।

Key Takeaways

  • चक्रवात 'मोंथा' ने मछुआरों के लिए खतरा पैदा किया।
  • ट्रांसपोंडर तकनीक ने सुरक्षा सुनिश्चित की।
  • समय पर चेतावनियों ने जीवन बचाए।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण है।
  • सरकार की पहल से सुरक्षा को प्राथमिकता मिली।

विशाखापट्टनम, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। चक्रवात 'मोंथा' के प्रभाव से 90-100 किमी प्रति घंटा की तीव्रता वाली हवाओं और भारी वर्षा के बीच, मत्स्य पालन विभाग की स्वदेशी ट्रांसपोंडर तकनीक ने मछुआरों की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के अंतर्गत स्थापित पोत संचार एवं सहायता प्रणाली ने तेलुगु भाषा में समय पर चेतावनियां भेजकर हजारों मछुआरों को सुरक्षित तट पर लौटने में सहायता की। यह प्रणाली 30 अगस्त 2024 को महाराष्ट्र के पालघर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉन्च की गई थी। 364 करोड़ रुपए की लागत से विकसित इस परियोजना ने मछुआरों को निःशुल्क ट्रांसपोंडर प्रदान किया है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित और न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) द्वारा कार्यान्वित, यह तकनीक दो-तरफा संचार की सुविधा देती है, जो मोबाइल कवरेज से परे समुद्र में भी कार्य करती है। सरकार की योजना है कि 13 तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक लाख मछली पकड़ने वाली नौकाओं पर ये ट्रांसपोंडर लगाए जाएं।

आंध्र प्रदेश में 3,000 से अधिक ट्रांसपोंडर पहले से ही स्थापित किए जा चुके हैं, जो चक्रवात 'मोंथा' के दौरान जीवन रक्षक साबित हुए।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के 25 अक्टूबर के बुलेटिन के आधार पर, राज्य के पशुपालन, डेयरी विकास एवं मत्स्य पालन विभाग ने तुरंत चेतावनी जारी की। अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी), अहमदाबाद के माध्यम से 26 से 29 अक्टूबर तक मछुआरों को समुद्र में न उतरने और तुरंत लौटने की सलाह दी गई।

तेलुगु में प्रसारित संदेशों में कहा गया, "समुद्र में मछुआरों को तुरंत तट पर लौटने की सलाह दी जाती है। भीषण तूफान को देखते हुए, नौकाओं को निकटतम लैंडिंग सेंटर या बंदरगाह तक पहुंचना चाहिए और 29 अक्टूबर तक बाहर न जाएं।"

इस व्यापक प्रसारण से 22,628 मछली पकड़ने वाली नौकाएं प्रभावित हुईं। परंपरागत तरीके से वीएचएफ रेडियो या फोन कॉल पर निर्भर रहने वाले अधिकारी अब इसरो के उपग्रहों से सटीक स्थिति ट्रैक कर रहे हैं। 26 अक्टूबर सुबह से शुरू हुए संदेशों के बाद सभी नौकाएं 27 अक्टूबर शाम तक सुरक्षित लौट आईं।

Point of View

जो कि देश की आर्थिक और सामाजिक मजबूती के लिए आवश्यक है।
NationPress
29/10/2025

Frequently Asked Questions

चक्रवात 'मोंथा' क्या है?
चक्रवात 'मोंथा' एक भयंकर तूफान है जिसने भारत के तटीय क्षेत्रों में भारी बारिश और तेज हवाओं का कारण बना।
ट्रांसपोंडर तकनीक कैसे काम करती है?
यह तकनीक दो-तरफा संचार सुविधा प्रदान करती है, जो समुद्र में भी काम करती है, ताकि मछुआरों को समय पर चेतावनियां मिल सकें।
क्या इस तकनीक ने सभी मछुआरों को बचाया?
हां, इस तकनीक की मदद से बड़ी संख्या में मछुआरों को समय पर चेतावनियां मिलीं और वे सुरक्षित लौट आए।