क्या उत्तराखंड की चमोली की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रहीं हैं?

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क्या उत्तराखंड की चमोली की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रहीं हैं?

सारांश

उत्तराखंड के चमोली जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण में एक नई दिशा प्रदान की है। हरियाली स्वायत्त सहकारिता समूह के माध्यम से महिलाएं दूध उत्पादन के जरिए आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं। जानिए इस समृद्धि की कहानी।

Key Takeaways

  • आर्थिक सशक्तीकरण के लिए महिलाओं का योगदान महत्वपूर्ण है।
  • स्वरोजगार के अवसरों का विस्तार आवश्यक है।
  • दूध उत्पादन से आय में वृद्धि संभव है।
  • सामुदायिक सहयोग से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।
  • सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना आवश्यक है।

चमोली, 23 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के चमोली जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण में एक नई मिसाल प्रस्तुत कर रहा है। इस पहल के जरिए महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान कर आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर किया जा रहा है।

दशोली विकासखंड के आठ ग्राम सभाओं की महिलाएं हरियाली स्वायत्त सहकारिता समूह, देवर-खडोरा से जुड़कर दूध उत्पादन और बिक्री के माध्यम से अपनी आजीविका अर्जित कर रही हैं।

लाभार्थी सुमन ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि सहकारिता समूह के माध्यम से हर सुबह दूध एकत्र किया जाता है और इसकी गुणवत्ता की मॉनिटरिंग की जाती है। इस प्रणाली से न केवल गुणवत्ता सुनिश्चित होती है, बल्कि समूह से जुड़ी महिलाओं की आय में भी निरंतर वृद्धि हो रही है।

दूसरी ओर, लाभार्थी ममता ने कहा कि आस-पास के गांवों की महिलाएं दूध इकट्ठा कर उत्तराखंड सरकार की ग्रामोत्थान परियोजना के तहत संचालित दुग्ध डेयरी में बेचती हैं। इस डेयरी से समूह को हर महीने हजारों रुपए की कमाई हो रही है, जिससे कई परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है।

समूह के संचालक मनोज ने जानकारी दी कि सुबह दूध आने के बाद उसका पानी का स्तर और फैट जांचा जाता है, फिर उपभोक्ताओं को वितरित किया जाता है। उन्होंने बताया कि आठ ग्राम सभाओं में दूध की आपूर्ति की जाती है, जिसमें लगभग 128 लीटर दूध की दैनिक खपत होती है।

हरियाली स्वायत्त सहकारिता समूह से करीब 680 महिलाएं जुड़ी हुई हैं, जो इस डेयरी व्यवसाय से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से लाभान्वित हो रही हैं। इन महिलाओं को न केवल स्थायी आय का स्रोत मिला है, बल्कि उनका आत्मविश्वास और सामाजिक पहचान भी मजबूत हुई है।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत केंद्र सरकार ग्रामीण समुदायों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने और उनकी आय बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम चला रही है। चमोली जिले में यह योजना अब सैकड़ों ग्रामीण महिलाओं के जीवन में नई रोशनी लेकर आई है।

Point of View

जो न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार रही हैं बल्कि समाज में आत्मविश्वास और पहचान भी हासिल कर रही हैं। यह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
NationPress
23/10/2025

Frequently Asked Questions

हरियाली स्वायत्त सहकारिता समूह का उद्देश्य क्या है?
समूह का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना है।
इस योजना से कितनी महिलाएं जुड़ी हुई हैं?
हरियाली स्वायत्त सहकारिता समूह से करीब 680 महिलाएं जुड़ी हुई हैं।
महिलाओं की आय में वृद्धि कैसे हो रही है?
दूध उत्पादन और बिक्री के माध्यम से महिलाओं की आय में निरंतर वृद्धि हो रही है।
इस योजना का लाभ कौन-कौन से परिवार उठा रहे हैं?
इस योजना से कई परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का महत्व क्या है?
यह मिशन ग्रामीण समुदायों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए कई कार्यक्रम चला रहा है।