क्या चंद्रग्रहण के कारण वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर मां गंगा की आरती दोपहर में होगी?

सारांश
Key Takeaways
- चंद्रग्रहण के कारण आरती का समय बदला गया है।
- दशाश्वमेध घाट पर आरती दोपहर 12 बजे होगी।
- इस साल का अंतिम चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को है।
- आरती की गरिमा को बनाए रखा जाएगा।
- स्थानीय लोगों में उत्साह है।
वाराणसी, 5 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। चंद्रग्रहण के चलते वाराणसी के प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर मां गंगा की आरती इस बार दोपहर 12 बजे आयोजित की जाएगी। गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र ने जानकारी दी कि सूतक काल रविवार को दोपहर 12 बजकर 57 मिनट से आरंभ हो रहा है, इसलिए शाम की नियमित आरती का समय बदल दिया गया है। सूतक काल से पहले आरती सम्पन्न करने के लिए इसे दोपहर में आयोजित किया जाएगा।
इस वर्ष का अंतिम चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को होगा, जिसे देशवासी देख सकेंगे। हिंदू धर्म में सूतक काल को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस अवधि में शुभ और मांगलिक कार्यक्रमों को वर्जित किया जाता है।
सुशांत मिश्र ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सूतक काल और चंद्रग्रहण के समय पूजा-पाठ और मंदिर दर्शन बंद रहते हैं। इसलिए गंगा सेवा निधि ने मां गंगा की आरती का समय बदलने का निर्णय लिया है। सुबह की आरती अपने निर्धारित समय, सूर्योदय के समय प्रातः 8 बजे होगी। उन्होंने यह भी बताया कि आरती का स्वरूप और परंपरा पूरी तरह से विधि-विधान के अनुसार होगी।
उन्होंने बताया कि यह 34 वर्षों में पांचवीं बार है, जब मां गंगा की आरती दिन में आयोजित की जा रही है। इससे पहले 7 अगस्त 2017, 27 जुलाई 2018, 16 जुलाई 2019 और 28 अक्टूबर 2023 को भी चंद्रग्रहण के कारण दिन में आरती की गई थी। गंगा सेवा निधि ने हर बार ग्रहण के समय आरती के समय में बदलाव करके परंपराओं का पालन सुनिश्चित किया है।
वर्तमान में गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण दशाश्वमेध घाट पर आरती छत पर आयोजित की जा रही है। गंगा सेवा निधि ने यह सुनिश्चित किया है कि बदले हुए समय और स्थान के बावजूद आरती की गरिमा और भक्ति भाव में कोई कमी न आए। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि वाराणसी की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को भी दर्शाता है। स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं में इस विशेष आरती को लेकर उत्साह देखा जा रहा है।