क्या चेन्नई में बाल तस्करी रैकेट का भंडाफोड़ हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- बाल तस्करी के खिलाफ जागरूकता आवश्यक है।
- स्थानीय पुलिस की तत्परता महत्वपूर्ण है।
- एक नागरिक की सूझबूझ से बड़ी घटनाएँ रोकी जा सकती हैं।
- पुलिस ने गुप्त ऑपरेशन चलाया और बच्चों को सुरक्षित बचाया।
- इस मामले में एक बड़े तस्करी नेटवर्क की आशंका है।
चेन्नई, 26 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। चेन्नई के पुझल क्षेत्र में पुलिस ने एक संदिग्ध बाल तस्करी गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस विशेष ऑपरेशन में दो बच्चे (जिनमें एक दो साल की बच्ची भी शामिल है) को सुरक्षित बचाया गया और तीन महिलाएं हिरासत में ली गईं। यह कार्रवाई स्थानीय पुलिस की सतर्कता और एक जागरूक नागरिक की सूझबूझ के फलस्वरूप संभव हुई।
मामला तब सामने आया जब पुझल के निवासी कार्तिक ने पुलिस को सूचना दी कि एक अज्ञात महिला ने उन्हें एक नाबालिग लड़के को 12 लाख रुपये में बेचने का प्रस्ताव दिया। इस चौंकाने वाली सूचना से स्तब्ध होकर कार्तिक ने तुरंत पुझल पुलिस से संपर्क किया। इंस्पेक्टर रजनीकांत ने इस मामले को गंभीरता से लिया और एक गुप्त ऑपरेशन शुरू किया।
पुलिस के निर्देश पर कार्तिक ने महिला के साथ बातचीत जारी रखी और सौदे को अंतिम रूप दिया। महिला ने बच्चे की मां के लिए 10 लाख रुपये और अपने कमीशन के रूप में 2 लाख रुपये मांगे। उसने पुझल में एक निश्चित स्थान पर बच्चे को सौंपने का वादा किया।
जब महिला बच्चे के साथ उस स्थान पर पहुंची, तो वहाँ पहले से मौजूद पुलिस ने उसे तुरंत हिरासत में लिया और बच्चे को सुरक्षित बचा लिया। दोनों को पूछताछ के लिए थाने ले जाया गया।
प्रारंभिक पूछताछ में महिला ने दावा किया कि बच्चा उसकी दोस्त का है और वह केवल सौदे में सहायता कर रही थी। उसकी जानकारी के आधार पर पुलिस ने अंबत्तूर के पास एक घर का पता लगाया, जहाँ से दो साल की बच्ची को भी बचाया गया; कथित तौर पर उसे बेचने की योजना बनाई जा रही थी। इस मामले में अन्य दो महिलाएं भी हिरासत में ली गईं।
जांच में यह पता चला कि एक महिला (जो अपने पति से अलग हो चुकी थी और आर्थिक तंगी से जूझ रही थी) ने अपने ही बच्चे को बेचने की योजना बनाई थी। अन्य दो महिलाएं इस सौदे को पूरा करने में उसकी मदद कर रही थीं।
पुलिस को एक आरोपी के मोबाइल फोन में कई बच्चों की तस्वीरें मिलीं, जिससे एक बड़े तस्करी नेटवर्क की आशंका जताई जा रही है।
पुलिस अब यह जांच कर रही है कि ये बच्चे अपहरण के शिकार थे या अन्य अवैध तरीकों से प्राप्त किए गए थे। बचाए गए बच्चों को बाल कल्याण अधिकारियों को सौंप दिया गया है।