क्या ढाका विश्वविद्यालय में छह साल बाद छात्र संघ चुनाव राजनीतिक स्थिरता की ओर ले जाएंगे?

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क्या ढाका विश्वविद्यालय में छह साल बाद छात्र संघ चुनाव राजनीतिक स्थिरता की ओर ले जाएंगे?

सारांश

बांग्लादेश की राजनीति में छात्र संगठनों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। ढाका विश्वविद्यालय में छह साल बाद हुए छात्र संघ चुनाव के पीछे विभिन्न राजनीतिक कारण हैं। क्या ये चुनाव देश में स्थिरता लाने में मदद करेंगे? आइए जानते हैं इस महत्वपूर्ण विषय पर।

Key Takeaways

  • छात्र संघ चुनाव में भागीदारी से युवाओं की आवाज को बल मिलेगा।
  • राजनीतिक स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • छात्र संगठनों का भविष्य अब डुक्सु चुनावों पर निर्भर है।
  • कई विश्वविद्यालयों में चुनावों की प्रक्रिया में बाधाएं हैं।
  • बांग्लादेश में राजनीतिक दांव-पेंच का असर चुनावों पर पड़ सकता है।

नई दिल्ली, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। 1971 में स्वतंत्रता के बाद से बांग्लादेश की राजनीति और शासन में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। कभी देश के युवाओं और छात्रों ने बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, तो कभी यह पड़ोसी देश राजनीतिक दांव-पेंचों का शिकार हुआ।

इसी क्रम में, मंगलवार को ढाका विश्वविद्यालय केंद्रीय छात्र संघ और हॉस्टल यूनियनों (डुक्सु) के चुनाव छह साल बाद आयोजित हुए।

ढाका ट्रिब्यून की 11 फरवरी, 2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार, डुक्सु और हॉस्टल यूनियन चुनाव 2019 में 28 साल बाद हुए थे। उससे पहले, 6 जून 1990 को डुक्सु चुनाव हुए थे, जब जनरल एच.एम. इर्शाद राष्ट्रपति थे और छात्र संगठन ने तानाशाह को सत्ता से हटाने में बड़ी भूमिका निभाई थी।

इस साल के छात्र चुनावों पर डेली स्टार ने अगस्त में लिखा था, “हालांकि अगले महीने ढाका विश्वविद्यालय, जहांगीरनगर विश्वविद्यालय और राजशाही विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव तय हैं, लेकिन कई अन्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में कानूनी अड़चनों या प्रशासनिक देरी के कारण चुनाव कब होंगे, इस पर अनिश्चितता बनी हुई है।”

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की आलोचना करने वाले अक्सर उन पर विपक्ष पर दबाव बनाने और चुनावी प्रक्रिया से बाहर रखने के आरोप लगाते रहे हैं। लेकिन अंतरिम सरकार द्वारा हसीना की पार्टी अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने और उसकी छात्र इकाई को आतंकी संगठन घोषित करने के बाद कैंपस की ताकत का समीकरण बदल गया है।

रिपोर्टों के अनुसार, पूर्व की सरकारों ने भी छात्र संगठनों के नियमित चुनाव रोक रखे थे। डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 56 सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में से केवल सात में ही केंद्रीय छात्र संघ के चुनाव का कानूनी प्रावधान है।

जगन्नाथ विश्वविद्यालय ने हाल ही में इस दिशा में कदम बढ़ाया है और लंबे समय से लंबित केंद्रीय छात्र संघ का संविधान मंजूर किया है। लेकिन बेगम रुकैया विश्वविद्यालय, इस्लामिक विश्वविद्यालय, कुमिल्ला विश्वविद्यालय और मौलाना भाशानी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों में ऐसे प्रावधान नहीं हैं।

बेगम रुकैया विश्वविद्यालय, रंगपुर में 17 अगस्त को छात्रों ने भूख हड़ताल शुरू की थी, जिसमें तीन दिनों में नौ छात्र बीमार पड़ गए और कई को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

जुलाई 2024 में छात्र आंदोलन के जरिए हसीना सरकार को हटाने के बाद नया रास्ता खोज रहे बांग्लादेश के लिए मौजूदा छात्र संघ चुनाव राजनीतिक स्थिरता की नई उम्मीद बन सकते हैं, क्योंकि ढाका की अंतरिम सरकार के कई वादों के बावजूद आम चुनाव अभी भी दूर की बात लगते हैं।

Point of View

NationPress
09/09/2025

Frequently Asked Questions

ढाका विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव क्यों महत्वपूर्ण हैं?
ये चुनाव बांग्लादेश की राजनीति में छात्रों की भूमिका को पुनर्जीवित करने का एक अवसर है।
छात्र संघ चुनाव कब हुए थे?
छात्र संघ चुनाव छह साल बाद आयोजित किए गए हैं।
बांग्लादेश में छात्र संगठनों का क्या महत्व है?
छात्र संगठन हमेशा से ही बांग्लादेश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं।
क्या चुनावों से राजनीतिक स्थिरता आएगी?
हालांकि उम्मीदें हैं, लेकिन चुनावों के परिणामों पर निर्भर करेगा।
अवामी लीग की छात्र इकाई पर क्या प्रभाव पड़ा है?
अंतरिम सरकार के फैसले से उनकी स्थिति में बदलाव आया है।