क्या चिराग पासवान ने महागठबंधन को कोर्ट जाने की सलाह दी?
सारांश
Key Takeaways
- महागठबंधन को कोर्ट जाने की सलाह
- राहुल गांधी की हताशा का जिक्र
- ईवीएम पर महागठबंधन की चुप्पी
- धार्मिक भावनाओं का सम्मान
- राजनीतिक मुद्दों पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता
खगड़िया, 6 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने गुरुवार को महागठबंधन में शामिल नेताओं को चेतावनी दी कि आप लोग बार-बार विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और वोट चोरी का मुद्दा उठा रहे हैं। अगर सचमुच कहीं कोई विसंगति है, तो तुरंत कोर्ट का दरवाजा खटखटाइए, वहां आपको समाधान मिलेगा।
उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस के साथ चर्चा करते हुए कहा कि यह दुखद है कि ये लोग बार-बार इन मुद्दों का जिक्र कर राजनीतिक स्थिति को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोर्ट नहीं जा रहे हैं। मैं ऐसे लोगों से कहना चाहता हूं कि अगर इन मुद्दों में थोड़ी सी भी सच्चाई है तो तुरंत कोर्ट जाइए, पर ये लोग वहां नहीं जाएंगे, बस इसे लोगों के बीच एक बड़ा मुद्दा बनाकर पेश करेंगे, जिसे अब स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
चिराग पासवान ने कहा कि पहले ये लोग ईवीएम पर सवाल उठा रहे थे। लंबे समय तक इन्होंने इसे मुद्दा बनाया, लेकिन अब ये इस पर चुप हैं। इसका मतलब है कि ईवीएम में कोई गड़बड़ी नहीं है। अब इन लोगों ने वोट चोरी का मुद्दा उछाला है। उछालने दीजिए, मैं दावे के साथ कहता हूं कि ऐसा करके इन्हें कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है। ये लोग इन मुद्दों का सहारा लेकर किसी भी सूरत में राजनीतिक स्थिति को अपने पक्ष में नहीं कर पाएंगे। यदि इन्हें लगता है कि ये ऐसा करके बिहार में राजनीतिक स्थिति को अनुकूल कर लेंगे, तो मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि यह उनकी गलतफहमी है, इसलिए इन्हें अपनी गलतफहमी दूर कर लेनी चाहिए।
केंद्रीय मंत्री ने राहुल गांधी के 'सरकार चोरी' के आरोप पर भी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह उनकी लगातार चुनाव हारने की हताशा का नतीजा है। उनके नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है, तो ऐसे में राहुल गांधी के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि वे पार्टी कार्यकर्ताओं को कैसे उत्साहित करें। इसलिए, वे ऐसे उल-जुलूल मुद्दों को हवा दे रहे हैं ताकि वे पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रेरित कर सकें, लेकिन इससे इन्हें कुछ भी लाभ नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा था, तब एक समय ऐसा आया था जब राहुल गांधी ने इस हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना जरूरी समझा, लेकिन कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को यह मंजूर नहीं था। इसके बाद पार्टी ने उन्हें स्टार प्रचारक की जिम्मेदारी सौंपी। पर अफसोस, राहुल गांधी इसमें भी असफल रहे हैं। वे लगातार अपनी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के अरमानों पर पानी फेरते जा रहे हैं। मेरा सुझाव है कि राहुल गांधी, उनकी पार्टी कांग्रेस और महागठबंधन में शामिल अन्य नेताओं को चाहिए कि वे इन मुद्दों को हवा देने के बजाय अपने ऊपर काम करें, खुद को तैयार करें। यदि वे ऐसा करेंगे, तो शायद इन लोगों का भला हो जाए।
उन्होंने चिराग पासवान के बयान पर कहा कि यह सभी का कर्तव्य होना चाहिए कि किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचे। हर व्यक्ति की अपनी धार्मिक भावनाएं होती हैं, हमें उनका सम्मान करना चाहिए। मुझे लगता है कि चुनाव आयोग इस दिशा में गंभीरता से काम कर रहा है और यह सुनिश्चित कर रहा है कि किसी की धार्मिक भावनाएं ठेस न पहुंचें। चुनाव आयोग ने इस दिशा में हाल ही में कई कदम उठाए हैं।
वहीं, राहुल गांधी के बयान पर कहा कि पिछले कुछ दिनों से यह देखने को मिल रहा है कि संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल उठाना एक चलन बन चुका है, लेकिन मैं राहुल गांधी को यह याद दिलाना चाहता हूं कि एक समय ऐसा भी था, जब उनके ही एक संस्थान के व्यक्ति ने गंभीर आरोप लगाए थे, तब उन्होंने कहा था कि सीबीआई तोता है। यह सब कुछ कांग्रेस के शासनकाल से ही चला आ रहा है।