क्या कांग्रेस ने चुनाव आयोग के बिहार मतदाता सूची संशोधन की आलोचना की है, और इसे ‘तुगलकी फरमान’ बताया?

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क्या कांग्रेस ने चुनाव आयोग के बिहार मतदाता सूची संशोधन की आलोचना की है, और इसे ‘तुगलकी फरमान’ बताया?

सारांश

कांग्रेस ने चुनाव आयोग के बिहार मतदाता सूची में किए गए संशोधन पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। नेताओं ने इसे गरीबों और अन्य समुदायों के नाम हटाने का प्रयास बताया है। क्या यह एक सियासी खेल है?

Key Takeaways

  • कांग्रेस का चुनाव आयोग पर आरोप
  • गरीबों और दलितों के नाम हटाने का प्रयास
  • पवन खेड़ा का सवाल
  • तुगलकी फरमान की तुलना नोटबंदी से
  • जनाधिकारों की रक्षा की आवश्यकता

नई दिल्ली, 3 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस ने गुरुवार को भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) पर बिहार की मतदाता सूची में चुनाव से पहले विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) करने के अपने हालिया निर्देश को लेकर तेज हमला किया। वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यह कदम गरीबों, दलितों, पिछड़े समुदायों और प्रवासी श्रमिकों के नाम हटाने का जानबूझकर किया गया प्रयास है।

दिल्ली में नए कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में, कांग्रेस मीडिया और प्रचार अध्यक्ष पवन खेड़ा, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम और कांग्रेस बिहार प्रभारी कृष्ण अल्लावरु ने चुनाव आयोग के इस मतदाता सूची संशोधन पर सवाल उठाए। उन्होंने इसे ‘मानवीय रूप से असंभव’ कहा।

पवन खेड़ा ने सवाल उठाते हुए कहा, “आप केवल 30 दिनों में 8 करोड़ मतदाताओं के नामों का सत्यापन कैसे कर सकते हैं? क्या अब यह सीईसी पर निर्भर है कि वह किससे मिलेंगे या किससे नहीं मिलेंगे? अगर यह जारी रहा, तो चुनाव आयोग अपना कार्यालय भाजपा मुख्यालय में स्थानांतरित कर सकता है।”

यह विवाद एक दिन पहले ही हुआ है, जब इंडिया ब्लॉक के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार सहित चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कथित तौर पर कहा था कि मुख्य चुनाव आयुक्त ने आयोग के कार्यालय में आने वाले सभी नेताओं को बैठक में शामिल होने की अनुमति नहीं दी।

खेड़ा ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर पत्रकारों को आंतरिक संदेश लीक करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “यह अब और छिपा नहीं रह सकता। मुख्य चुनाव आयुक्त लोगों को वोट देने के उनके मौलिक अधिकार से वंचित करके क्या विरासत छोड़ रहे हैं?”

बिहार कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने इस कदम की निंदा करते हुए इसे “तुगलकी फरमान” बताया और इसकी तुलना नोटबंदी से की। उन्होंने कहा, “भारत के चुनावी इतिहास में, क्या कभी किसी राज्य से 8 करोड़ मतदाताओं का प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है, जिन्होंने सिर्फ 12 महीने पहले लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान किया था? एक साल में क्या बदल गया?”

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि हम राजनीति के इस खेल को सही परिप्रेक्ष्य में देखें। चुनाव आयोग का कार्य और उसके निर्णय जनहित में होने चाहिए। इससे जनाधिकारों की रक्षा होती है।
NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

कांग्रेस ने चुनाव आयोग के किस निर्णय पर आपत्ति जताई है?
कांग्रेस ने बिहार की मतदाता सूची में चुनाव से पहले विशेष गहन संशोधन पर आपत्ति जताई है।
क्या कांग्रेस ने इसे तुगलकी फरमान कहा है?
हाँ, कांग्रेस ने इस कदम को तुगलकी फरमान कहा है।
कौन-कौन से नेता इस मुद्दे पर बोल रहे हैं?
कांग्रेस मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम और कृष्ण अल्लावरु इस मुद्दे पर बोल रहे हैं।